क्या जल जीवन मिशन बना भ्रष्टाचार का पर्याय? सीतापुर में करोड़ों की टंकी भरभराकर गिरी… देखें Video

5.31 करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी कुछ ही महीनों में ढह गई, लोगों ने उठाए गंभीर सवाल

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  • 5.31 करोड़ की लागत से बनी पानी की टंकी कुछ ही महीनों में ढह गई, लोगों ने उठाए गंभीर सवाल

रिपोर्ट : आयुष पाण्डेय : लखीमपुर : उत्तर प्रदेश। “हर घर जल” पहुंचाने के नाम पर चलाया जा रहा जल जीवन मिशन एक बार फिर सवालों के घेरे में है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में इसी योजना के तहत बनाई गई एक पानी की टंकी अचानक ध्वस्त हो गई। दावा है कि इस टंकी के निर्माण में 5.31 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए थे, लेकिन उसके बावजूद वह महज कुछ ही समय में गिर गई। इससे पहले लखीमपुर खीरी में भी इसी तरह की टंकी गिरने की घटना सामने आ चुकी है।

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क्या है मामला?

Did Water Life Mission be synonymous with corruption? Crores of tanks fell in Sitapur ... Watch VIDE

सीतापुर जिले के एक गांव में जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक ओवरहेड वाटर टैंक का निर्माण कराया गया था, जिसका उद्देश्य था ग्रामीणों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना। लेकिन सोमवार को यह टंकी बिना किसी प्राकृतिक आपदा या स्पष्ट कारण के भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि घटना के समय आसपास कोई नहीं था, वरना बड़ी जनहानि हो सकती थी।

लोगों ने उठाए सवाल – भ्रष्टाचार की बू!

स्थानीय लोगों और विपक्षी नेताओं ने इस घटना को खुला भ्रष्टाचार बताते हुए कहा है कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी अगर टंकी खड़ी नहीं रह सकी, तो इसमें कहीं न कहीं घोर लापरवाही या घोटाला है। लोगों का कहना है कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया।

पानी की टंकी या भ्रष्टाचार की मिसाल?

विशेषज्ञों के अनुसार, जिस स्तर की टंकी बनाई गई थी, उसका जीवनकाल कम से कम 25–30 साल होना चाहिए था, लेकिन यह महज़ कुछ महीनों में गिर गई। इससे यह साफ है कि निर्माण कार्य में गंभीर अनियमितताएं बरती गई हैं।

लखीमपुर में भी हुई थी ऐसी ही घटना

सीतापुर की घटना से कुछ ही दिन पहले लखीमपुर खीरी में भी जल जीवन मिशन के अंतर्गत बनी एक टंकी अचानक गिर गई थी। दो-दो घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कहीं न कहीं इस योजना की जमीनी हकीकत में भारी खामी है।

क्या बोले अधिकारी?

स्थानीय जल निगम अधिकारी फिलहाल जांच की बात कहकर मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई या जिम्मेदारी तय नहीं हुई है।

जनता का सवाल

  • 5.31 करोड़ रुपये आखिर गए कहां?
  • निर्माण में कौन ठेकेदार था?
  • इंजीनियरिंग और सुपरविजन की जिम्मेदारी किसकी थी?
  • दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

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