हज़रत इमाम हुसैन की याद में पार्षद विजेंद्र अग्रहरि ने हाज़ी खुर्शीद आलम के घर पर किया पौधारोपण
शहादत-ए-इमाम हुसैन से हमें सब्र, वफा, हक और सच्चाई के रास्ते पर चलने का सबक मिलता है- हाज़ी खुर्शीद आलम खान
दिनेश चंद्र मिश्र,मंडल प्रभारी : गोरखपुर। मुहर्रम की छठवीं पर बसन्तपुर वार्ड के पार्षद विजेंद्र अग्रहरि के द्वारा हाज़ी खुर्शीद आलम खान के निवास स्थान इलाहीबाग आगा मस्जिद के सामने गली में स्थित आवास पर आम अमरूद और नीम के पौधे लगाया गया। आपको बता दे कि पार्षद विजेंद्र अग्रहरि के द्वारा अब तक 8786 पौधे लगाए जा चुके है।
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पार्षद विजेंद्र अग्रहरि की सबसे खास बात ये है कि उनको पेड़ पौधों से बहुत लगाव है। वो अपनी स्कोर्पियो गाड़ी में कुदारी बेलचा फावड़ा आदि लेकर चलते है। अपने हाथों से खुदाई करते है और पौधे लगाते हैं।
पार्षद का कहना है कि पौधे लगाकर उनको दिली सुकून मिलता है। बसन्तपुर के पार्षद विजेंद्र अग्रहरि ने पौधारोपण कर पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि स्वस्थ पर्यावरण के लिए पेड़ पौधे बहुत आवश्यक हैं। हर इंसान को हर साल एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए। पेड़ पौधा लगाकर हज़रत इमाम हुसैन व शहीद-ए-कर्बला को खिराज-ए-अकीदत पेश करना हम सभी का दायित्व है।
हाज़ी खुर्शीद आलम खान ने पौधारोपण के बाद मीडिया से बात करते हुए कहाँ की शहादत-ए-इमाम हुसैन (अलै.) से हमें सब्र, वफा, हक और सच्चाई के रास्ते पर चलने का सबक मिलता है। इमाम हुसैन ने शहादत देकर इंसानियत और इस्लाम को बचाया। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब अल्लाह की ओर से तमाम इंसानों के लिए रसूल बनकर आए।
उन्होंने कहा कि सन 61 हिजरी में सुन्नते रसूल शरीयत ए मोहम्मदी को मरदूद यजीद ने बदलने की कोशिश की। तब नवासे रसूल हजरत इमाम हुसैन ने अपने परिजनों और साथियों के साथ कर्बला में शहीद होकर दीन-ए-इस्लाम को बचाया। शहादत-ए-हुसैन से इस्लाम भी बचा और इंसानियत भी। यही वजह है कि हर कौम और मिल्लत इमाम हुसैन से मोहब्बत करती है। जरूरी है कि इंसानियत को बचाने के लिए कर्बला वालों का पैगाम आम किया जाए।
उन्होंने कहा कि आज मुहर्रम को छठवीं है और हम सब हज़रत इमाम हुसैन की याद में पौधारोपण करके पर्यावरण के प्रति आमजनमानस को जागरूक कर रहे है साथ ही लोगो से अपील भी है कि अपने घर पर एक पेड़ जरूर लगाए। मुहर्रम के मौके पर कोई ऐसा काम न करे जसकी वजह से दूसरों को हंसने का मौका मिले मुहर्रम पर हज़रत इमाम हुसैन ने अपने पूरे परिवार और साथियों के साथ शाहदत दी थी। हमे बड़े अदब और एहतराम के साथ मुहर्रम पर गम का इजहार करना चाहिए। ढोल ताशा बाज़ा आदि चीज़ों से दूर रहना चाहिए।
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