“1 इंच भी पीछे नहीं हटें” ऑपरेशन सिंदूर में BSF महिला कर्मियों ने दिखाया दम, पाकिस्तानी चौकियां की नष्ट

BSF की महिला करने वाले न केवल साहस के साथ दुश्मन का सामना किया, बल्कि देश को आश्वस्त भी किया, क्योंकि वह सीमाओं पर राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह वाक़िफ है।

“1 इंच भी पीछे नहीं हटें “, ऑपरेशन सिंदूर में BSF महिला कर्मियों ने दिखाया दम , पाकिस्तानी चौकियां की नष्ट 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : श्रीनगर , जम्मू कश्मीर।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सीमा सुरक्षा बल की महिलाओं ने असाधारण साहस और बहादुरी का परिचय दिया। साथ ही पाकिस्तानी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया।

कई पाकिस्तानी चौकियों को नष्ट कर दिया। उन्हें पुरुष कर्मियों की तरह ट्रेनिंग दी गई है। BSF की महिलाओं ने बहादुरी और दृढ़ संकल्प का उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महिला कर्मियों ने कहा कि उन्हें पुरुष कर्मियों के बराबर ट्रेनिंग मिली है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने उसी भावनाओं के साथ सीमाओं की रक्षा की।

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महिला BSF अधिकारियों ने कहा कि हमनेेेेेेेेे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाया और अपनी स्थिति से 1 इंच भी पीछे नहीं हटें। हम सीमा पर स्थित चौकियों और फॉरवर्ड पोस्ट पर डटें रहें।

साहस और दृढ़ संकल्प 

BSF की महिला कर्मियों ने न केवल साहस के साथ दुश्मन का सामना किया, बल्कि देश को आश्वस्त भी किया, क्योंकि वह सीमाओं पर राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह वाक़िफ है।

कठुआ, सांबा और जम्मू सेक्टर में सीमा चौकियों पर दुश्मनों से लोहा लेने वाली BSF की यह जवान महिलाएं देश की सीमाओं की रक्षा ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प की भी जीती जागती मिसाल हैं।

BSF के इन महिलाओं ने युद्ध के मैदान से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। एक कर्मी ने कहा कि हमने अपने पुरुष सहकर्मियों के समान ही कठोर प्रशिक्षण मिला है। हम युद्ध के दौरान मैदान में भी वहीं भावना लेकर आएं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाया और 1 इंच के पीछे नहीं हटे।

नियंत्रण रेखा के एक संवेदनशील क्षेत्र में किए गए इस ऑपरेशन में BSF की महिलाओं ने अपने पुरुष समीक्षकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न केवल रणनीतिक ठिकानों की रक्षा की, बल्कि एक साहसिक जवाबी हमला भी किया। इस ऑपरेशन को अग्रिम मोर्चों की रक्षा में महिलाओं की बढ़ती भूमिका में एक मील का पत्थर माना गया हैं।

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