2006 से पहले रिटायर कर्मचारियों को 4 महीने में छठ वें वेतन आयोग के तहत पेंशन, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि इस तरह का वर्गीकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। जो कानून के समक्ष समानता के गारंटी देता है। छत्तीसगढ़ राज्य में तर्क दिया है कि 2006 से पहले रिटायर लोगों को लाभ देने से राज्य के ख़ज़ाने पर अनुच्छेद वित्तीय बोझ पड़ेगा। जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए राज्य के तार को ख़ारिज कर दिया।

2006 से पहले रिटायर कर्मचारियों को 4 महीने में छठ वें वेतन आयोग के तहत पेंशन, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : बिलासपुर :छत्तीसगढ़ 

हाई कोर्ट ने एक फैसले में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों को छठ वें वेतन आयोग योजना के तहत 2006 से पहले सेवानिवृत हुए कर्मचारियों को पेंशन लाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालय पेंशनर्स संघ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य के मामले में यह फैसला सुनाया है।

याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालय  पेंशनर्स संघ सरकारी महाविद्यालयों के पेंशन भोगियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक पंजीकृत संस्था है। संस्था ने 1 जनवरी 2006 से पहले सेवानिवृत होने वालों के साथ किए जा रहे भेदभावपूर्ण व्यवहार को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट ने याचिका लगाई थी।

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याचिका में कहा गया था कि 2006 के बाद सेवानिवृत्त हुए लोगों को छठवें वेतन आयोग का लाभ दिया गया। जबकि इससे पहले सेवानिवृत्त हुए उनके समकक्षों कोई से वंचित रखा गया, जो भेदभाव के समान है।

इससे पहले, सोसाइटी ने WP (S) संख्या 5333/2012 दायर की थी। जिनका निपटारा 25 जनवरी, 2018 को किया गया था। जिसमें अधिकारियों को एक अभ्यावेदन पेश करने का निर्देश दिया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त विभाग ने 28 फरवरी 2018 के एक आदेश के माध्यम से उनके अभ्यावेदन को ख़ारिज कर दिया गया था। जिसके कारण उन्हें वर्तमान याचिका दायर करनी पड़ी।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह का वर्गीकरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लघंन है। जो कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है। छत्तीसगढ़ राज्य ने तर्क दिया कि 2006 से पहले रिटायर लोगों को लाभ देने से राज्य के ख़ज़ाने पर अनुचित वित्तीय बोझ पड़ेगा। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए राज्य के तर्क को ख़ारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 49 के अनुसार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों को पेंशन भुगतान की देयता साझा करनी होंगी। राज्य को 120 दोनों के भीतर संशोधन पेंशन जारी करने का निर्देश दिया है।

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