2020 के दिल्ली दंगे के दौरान हाशिम अली की मौत के 12 आरोपी बरी, हाई कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ
26 फरवरी 2020 को गोकलपुरी में दंगाइयों ने की थी हत्या। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 26 फरवरी 2020 को गोकुलपुरी इलाके में हाशिम अली की हत्या दंगाइयों की भीड़ ने की थी। सभी 12 आरोपी दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा थे। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की ओर से दिया गया साक्ष्य सभी आरोपियों की पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
2020 की दिल्ली दंगे के दौरान हाशिम अली की मौत के 12 आरोपी बरी , कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली।
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के गोकलपुरी इलाके में हाशिम अली की हत्या के मामले के 12 आरोपियों को बरी कर दिया है।
एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश दिया है।
अदालत का कहना है कि अभियोजन पक्ष ऐसे ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सका, जिससे यह साबित हो सकें कि आरोपी हत्या करने वाली भीड़ के हिस्सा थे।
कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिया अहम फैसला
एडिशनल सेशन में कहा परिस्थिति जन्य साक्ष्य के रूप में जो टुकड़े प्रस्तुत किए गए हैं, वह किसी भी आरोपी को दोषी ठहरने के लिए पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल एक गवाह ने आरोपियों की उपस्थिति की पुष्टि की, जबकि अन्य किसी भी घटना के चश्मदीद नहीं थे।
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कोर्ट ने जिन आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का आदेश दिया।
उनमें लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, अंकित चौधरी, प्रिंस, जतिन शर्मा, हिमांशु ठाकुर, विवेक पांचाल, ऋषभ चौधरी, सुमित चौधरी, टिंकू अरोड़ा, संदीप और साहिल शामिल हैं।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने परिस्थिति जन्य साक्ष्य पेश किया था, क्योंकि किसी भी प्रत्यक्षदर्शी ने आरोपी की पहचान करने से इनकार कर दिया था।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 26 फरवरी 2020 को गोकलपुरी इलाके में हाशिम अली की हत्या दंगाइयों की भीड़ ने की थी। सभी 12 आरोपी दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा थे।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की ओर से दिया गया साक्ष्य सभी आरोपियों की पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो परिस्थिति जन्य साक्ष्य है वह किसी भी आरोपी को दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा बताने में असफल रही है।
सभी आरोपी वॉट्सएप ग्रुप कट्टर हिंदू सेना का हिस्सा थे। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कि उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सभी आरोपी व्हॉट्सएप ग्रुप कट्टर हिंदू सेना का हिस्सा थे।
कोर्ट ने कहा कि इस ग्रुप में जो पोस्ट डाले गए होंगे वह ग्रुप के दूसरे सदस्यों की नजर में अपने आपको हीरो साबित करने की एक कवायद हो सकती है।
ऐसे में इस व्हाट्सएप ग्रुप चैट पर शामिल होना भर आरोपी को साबित नहीं कर देता हैं।
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