प्यास बुझाने निकले मासूम हिरण को कुत्तों ने घेर कर नोंचा… इंसानियत ने दी नई जिंदगी
आवारा कुत्तों के बीच फंसे घायल हिरण को समय पर मिली मदद, वन दरोगा और राहगीर ने मिलकर बचाई जान
रिपोर्ट: अशोक सोनी। बहराइच। कभी-कभी जिंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक पल का फासला होता है। बहराइच के जरवल इलाके में रविवार को एक ऐसा ही पल आया, जब एक प्यासी हिरण अपनी जान से हाथ धो बैठता, अगर इंसानियत वक्त रहते आगे न आती। आवारा कुत्तों के हमले में बुरी तरह घायल हुए उस मासूम हिरण को एक राहगीर और वन विभाग की त्वरित मदद ने फिर से जिंदगी की खुली हवा में दौड़ने का मौका दिया।

सूरज की तपती किरणों के नीचे प्यास से बेहाल एक हिरण झील की तलाश में भटकते-भटकते जरवल के कटी झील तक आ पहुँचा। हलक सूख चुका था, कदम लड़खड़ा रहे थे, पर जैसे ही वह पानी पीने झुका, गांव के कुछ आवारा कुत्तों की नजर उस पर पड़ गई।
कुत्तों ने झुंड बनाकर अचानक उस निरीह प्राणी पर हमला कर दिया। हिरण खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, पर धीरे-धीरे उसके शरीर से खून बहने लगा और वो बेबस हो गया।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। उसी समय अचेहरा गांव के जमील वहां से गुजर रहे थे। उन्होंने जब देखा कि एक नन्हा प्राणी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है, तो इंसानियत ने उन्हें आवाज दी।
जमील ने बिना अपनी जान की परवाह किए कुत्तों के झुंड से भिड़कर घायल हिरण को बचाया। खून से सना वो मासूम हिरण दर्द से कांप रहा था। जमील ने समय गंवाए बिना उसे जरवल के पशु चिकित्सालय पहुंचाया, पर छुट्टी के कारण अस्पताल सुनसान पड़ा था।
हिम्मत हारने के बजाय जमील ने वन दरोगा शीतला यादव को फोन किया। श्री यादव ने भी इंसानियत का फर्ज निभाते हुए फौरन अपना वॉचर भेजा और घायल हिरण को घाघरा घाट मंगवाया। वहां से जरवल रोड के पशु चिकित्साधिकारी ने उसका इलाज किया।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इंसानियत जिंदा है। अगर हम आंखें खोलें, तो किसी नन्ही जान की जिंदगी बचाना हमारे हाथों में है।