महाराष्ट्र के चंद्रपुर में बाघों का कहर: तीन दिन में पांच महिलाओं की दर्दनाक मौत
ताडोबा के बफर जोन में बाघों के बढ़ते हमले, गांवों में दहशत का माहौल; वन विभाग सतर्क, ग्रामीणों की सुरक्षा पर सवाल
- महाराष्ट्र के चंद्रपुर में बाघों का कहर: तीन दिन में पांच महिलाओं की दर्दनाक मौत
- ताडोबा के बफर जोन में बाघों के बढ़ते हमले, गांवों में दहशत का माहौल; वन विभाग सतर्क, ग्रामीणों की सुरक्षा पर सवाल
अतुल अवस्थी : Chandrapur Tiger Attack : चंद्रपुर : महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में बाघों के लगातार हमलों ने लोगों की नींद उड़ा दी है। ताडोबा जंगल के बफर जोन से सटे गांवों में बीते तीन दिनों में बाघों ने पांच महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया। ये घटनाएं न सिर्फ डरावनी हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि इंसान और जंगल के बीच की दूरियां अब खतरनाक तरीके से कम हो रही हैं। गांवों में अब खेत और जंगल की तरफ जाना लोगों के लिए जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।
बाघ का कहर, तीन जिंदगियां एक साथ खत्म

10 मई को सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के मेंढा माल गांव में जो हुआ, उसने सबको झकझोर दिया। गांव की तीन महिलाएं—कांताबाई चौधरी (60), उनकी बहू शुभांगी चौधरी (38) और सरिका शेंडे (48)—जंगल में तेंदू पत्ते बीनने गई थीं। तभी एक बाघ ने अचानक हमला कर दिया और तीनों की मौके पर ही जान चली गई। यह भारत की पहली ऐसी घटना मानी जा रही है, जब एक ही बाघ ने एक साथ तीन लोगों को मार डाला।
पहले भी हो चुकी हैं हमलों की घटनाएं
ये कोई पहली घटना नहीं है। चंद्रपुर जिले में पहले भी बाघों द्वारा हमले होते रहे हैं। पिछले साल साओली वन परिक्षेत्र में भी एक 55 वर्षीय महिला को बाघ ने मार डाला था। यह साफ संकेत है कि इन इलाकों में इंसानों और बाघों के बीच संघर्ष अब आम हो चला है।
वन विभाग की कार्रवाई शुरू
घटनाओं के बाद वन विभाग ने तुरंत एक्शन लिया है। बाघ की पहचान करने और उसे पकड़ने के लिए स्पेशल टीमें तैनात की गई हैं। घटना स्थल और आस-पास के गांवों में वन अधिकारियों की गश्त बढ़ा दी गई है ताकि लोग कुछ हद तक सुरक्षित महसूस कर सकें।
विधायक की मांग—सख्त कदम उठाए जाएं
स्थानीय विधायक विजय वडेट्टीवार ने वन विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि इन हमलों को गंभीरता से लिया जाए और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि जंगल से सटे गांवों में रहने वाले लोग हर दिन खतरे में जी रहे हैं।
जरूरत है जागरूकता और सुरक्षा उपायों की
इन घटनाओं के बाद यह साफ हो गया है कि सिर्फ बाघ को पकड़ने से काम नहीं चलेगा। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है ताकि लोग जंगल की तरफ जाते समय सतर्क रहें। इसके साथ ही, गांवों में सुरक्षा उपाय जैसे सोलर लाइट, अलर्ट सिस्टम और गार्ड्स की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
गौरतलब हो कि चंद्रपुर की घटनाएं केवल वन्यजीव संघर्ष की कहानी नहीं हैं, बल्कि यह हमारे पर्यावरणीय असंतुलन का भी परिणाम हैं। वन विभाग को अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पूर्व-सावधानी और स्थायी समाधान की तरफ बढ़ना होगा।