- विनियमावली 2011 के विरोध में भड़के शिक्षक, भागलपुर सहित बिहार भर में उग्र प्रदर्शन
- 715 अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता और स्वायत्तता बचाने के लिए शिक्षकों का सड़क पर संघर्ष
रिपोर्ट : अमित कुमार : भागलपुर : बिहार। बिहार के भागलपुर सहित तमाम जिलों में अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने संबद्धता विनियमावली 2011 के विरोध में जिला मुख्यालयों का घेराव किया। यह प्रदर्शन राज्य के उन 715 स्कूलों के समर्थन में हुआ, जिन्हें आम जनता के सहयोग से वर्षों पहले स्थापित किया गया था और जिन्हें राज्य सरकार की विधिवत मान्यता प्राप्त है। शिक्षकों का आरोप है कि सरकार जबरन एक ऐसी विनियमावली थोप रही है, जो इन स्कूलों के अस्तित्व और स्वायत्तता पर सवाल खड़ा कर रही है।
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जानिए क्या है मामला?

शिक्षकों के अनुसार, बिहार के 715 अनुदानित माध्यमिक विद्यालय बिहार अराजकीय माध्यमिक विद्यालय अधिनियम 1981की धारा 19 के तहत राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त कर चुके हैं। यह मान्यता इन्हें पूरी वैधानिकता और स्वायत्तता देती है।
अब सरकार द्वारा इन स्कूलों पर संबद्धता विनियमावली 2011को जबरन लागू करने की कोशिश की जा रही है, जिसे शिक्षक न केवल अनुचित बल्कि गैरकानूनी भी मान रहे हैं।
शिक्षकों की आपत्तियाँ:
- विनियमावली 2011 मूलतः परीक्षा संचालन के लिए बनी थी, इसका प्रयोग स्कूलों की मान्यता पर नहीं किया जा सकता।
- इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार की योजनाओं (मिड-डे मील, छात्रवृत्ति आदि) का लाभ मिलता रहा है।
- बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की नियमावली 1952 के अनुसार राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त विद्यालयों पर अलग से संबद्धता नियम लागू नहीं होते।
- यह निर्णय इन स्कूलों की स्वायत्तता और वर्षों की मेहनत पर कुठाराघात जैसा है।
प्रदर्शन में गूंजी शिक्षकों की आवाज
प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना था कि यदि सरकार ने विनियमावली 2011 को इन 715 मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू करने का निर्णय वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को राज्यव्यापी रूप दे दिया जाएगा।
“हमारा संघर्ष इन स्कूलों की मान्यता और लाखों छात्रों के भविष्य के लिए है। विनियमावली 2011 को थोपना अन्याय है। अगर सरकार नहीं मानी तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे।”
——-अनुदानित शिक्षक
शिक्षा तंत्र में असंतोष का इशारा
यह विरोध सरकार और शिक्षकों के बीच बढ़ते असंतोष को भी दर्शाता है। राज्य सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि जो स्कूल वर्षों से छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, उनकी गरिमा और मान्यता को बनाए रखा जाए।
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