बहराइच में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट कांड: नगर पंचायत अध्यक्ष और चिकित्साधिकारी पर FIR दर्ज
पयागपुर में हाई-प्रोफाइल मुकदमा, शासन जांच से बचने की साजिश में फंसे दो बड़े अफसर
- बहराइच में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट कांड: नगर पंचायत अध्यक्ष और चिकित्साधिकारी पर FIR दर्ज
- पयागपुर में हाई-प्रोफाइल मुकदमा, शासन जांच से बचने की साजिश में फंसे दो बड़े अफसर
रिपोर्ट : महेश अग्रवाल : पयागपुर : बहराइच। यूपी के बहराइच जनपद के पयागपुर नगर पंचायत अध्यक्ष बालेंदु श्रीवास्तव उर्फ विपिन और तत्कालीन चिकित्साधिकारी डॉ. विकास सोनी के खिलाफ एक गंभीर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर शासन स्तर की जांच से बचने की साजिश से जुड़ा है।

जांच में सामने आया कि ओपीडी रजिस्टर में नाम दर्ज न होने के बावजूद बालेन्द्र श्रीवास्तव ने “बेड रेस्ट” का फर्जी प्रमाणपत्र पेश किया, जिसे डॉ. विकास सोनी ने प्रमाणित किया था। इस कृत्रिम एंट्री के माध्यम से एक उच्च स्तरीय जांच को भटकाने का प्रयास किया गया।
जानिए घटनाक्रम के मुख्य तथ्य
- नगर पंचायत अध्यक्ष विपिन श्रीवास्तव ने फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र शासन को सौंपा
- ओपीडी रजिस्टर में नाम नहीं था, फिर भी बेड रेस्ट का प्रमाण पत्र दिया गया
- तत्कालीन चिकित्साधिकारी डॉ. विकास सोनी पर कृत्रिम एंट्री करने का आरोप
- BNS 2023 की धारा 61(2), 319(2), 338, 336(3), 340(2) में पयागपुर थाने में FIR
- जिलाधिकारी के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्रवाई शुरू
आखिर क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, शासन द्वारा चल रही किसी महत्वपूर्ण जांच में नगर पंचायत अध्यक्ष बालेंदु श्रीवास्तव को शामिल होना था। लेकिन अपनी उपस्थिति से बचने के लिए उन्होंने एक फर्जी मेडिकल प्रमाणपत्र पेश किया, जिसमें लंबे “बेड रेस्ट” की सिफारिश की गई थी।
जब इस प्रमाणपत्र की जांच हुई तो सीएमओ कार्यालय को OPD रजिस्टर में नाम ही नहीं मिला। यही नहीं, प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले डॉ. विकास सोनी पर आरोप है कि उन्होंने रजिस्टर में जबरन नाम दर्ज कराया, जिससे प्रतीत हो कि मरीज इलाज में था।
कौन-कौन से कानून लगे?
इस मामले में भारतीय दंड संहिता (BNS) 2023 की धाराएं लगाई गई हैं:
- धारा 61(2) – जालसाजी के जरिए शासन को धोखा देना
- धारा 319(2) – दस्तावेज़ में फर्जीवाड़ा कर सरकारी प्रक्रिया को प्रभावित करना
- धारा 338 – न्यायिक प्रक्रिया को भटकाने का प्रयास
- धारा 336(3) – मेडिकल रिपोर्ट के नाम पर सरकारी आदेश को बाधित करना
- धारा 340(2) – झूठे दस्तावेज़ तैयार कर साजिश करना
जिलाधिकारी ने दिए थे निर्देश, थाने में सौंपी गई पूरी फाइल

इस गंभीर मामले को लेकर जिलाधिकारी बहराइच मोनिका रानी ने स्वयं संज्ञान लिया और पूरे दस्तावेज़ पयागपुर थाने को सौंप दिए गए। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। मामले की जांच अब विधिक प्रक्रिया के तहत जारी है।
तो अब आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या ऐसे फर्जी दस्तावेज़ और शासन को गुमराह करने के प्रयास पर दोषियों को उचित सज़ा मिलेगी? जिला प्रशासन इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाए हुए है और संभावना है कि आगे कई और नाम उजागर हो सकते हैं।