आंखों पर पट्टी, दिल में भोले: हटयोगी कांवरिया ने दिखाई अनोखी आस्था

मनोकामना हुई पूर्ण तो कांवरिया बना "हटयोगी", आंखों पर पट्टी बांधकर निकला बाबा धाम, बोले - “अब सिर्फ बाबा भोले को ही आंखों में बसाना है”

  • आंखों पर पट्टी, दिल में भोले: हटयोगी कांवरिया ने दिखाई अनोखी आस्था
  • मनोकामना हुई पूर्ण तो कांवरिया बना “हटयोगी”, आंखों पर पट्टी बांधकर निकला बाबा धाम, बोले – “अब सिर्फ बाबा भोले को ही आंखों में बसाना है”

रिपोर्ट : अमित कुमार : मुंगेर/भागलपुर : बिहार। सावन माह में कांवर यात्रा ना सिर्फ आस्था की पराकाष्ठा है, बल्कि समर्पण और त्याग का साक्षात प्रमाण भी बन जाती है। कुछ ऐसा ही नज़ारा इस बार मुंगेर कच्ची कांवरिया पथ पर देखने को मिला, जहां एक कांवरिया आंखों पर पट्टी बांधकर बाबा धाम की ओर डाक कांवर लेकर निकला।

यह भी पढ़ें : रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी: सभी डिब्बों और इंजनों में लगेंगे हाईटेक सीसीटीवी कैमरे

अद्भुत श्रद्धा का दृश्य देखकर राहगीर और श्रद्धालु हैरान और भावविभोर

Lightly blindfolded Kanwaria showed unique faith in the heart

दरअसल, दरभंगा से आए श्रद्धालु महेंद्र प्रजापति ने बताया कि उन्होंने बाबा भोलेनाथ से एक मनोकामना मांगी थी। जब वह पूरी हुई, तो उन्होंने प्रण लिया कि इस बार वह आंखों पर पट्टी बांधकर बाबा को जल चढ़ाएंगे।

यह है ‘हठ योग’ की भक्ति

महेंद्र प्रजापति ने कहा “अब मैं सिर्फ बाबा भोले को ही अपनी आंखों में बसाना चाहता हूं। इसलिए मैंने आंखों पर पट्टी बांधकर डाक कांवर यात्रा शुरू की है। ये मेरे लिए हठ योग का स्वरूप है। यह आसान नहीं, लेकिन बाबा की शक्ति से सब संभव है।”

उनके साथ चल रहे सहयोगी रमन कुमार पांडे लगातार मार्गदर्शन कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि महेंद्र जी सुरक्षित रूप से बाबा धाम तक पहुंचें।

Lightly blindfolded Kanwaria showed unique faith in the heartमहेंद्र प्रजापति, कांवरिया ने कहा “भक्ति में आंखें नहीं, मन चाहिए। मैं अब सिर्फ बाबा को देखना चाहता हूं, इसलिए बाकी सबकुछ छोड़ दिया।”

रमन कुमार पांडे, सहयोगी “यह यात्रा आसान नहीं, लेकिन महेंद्र जी की आस्था देखकर मैं स्वयं प्रेरित हो गया हूं। बाबा की कृपा से हम जरूर पहुंचेंगे।”

पवित्रता और भक्ति का रास्ता — कच्ची कांवरिया पथ

कच्ची कांवरिया पथ सिर्फ एक यात्रा मार्ग नहीं, बल्कि श्रद्धा और तपस्या की जीवंत मिसाल बन चुका है। रोज़ नए-नए स्वरूपों में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं — कोई नंगे पांव, कोई सिर के बल, तो कोई हठ योग में लीन होकर शिव के दर्शन के लिए बढ़ा चला जा रहा है।

यह भी पढ़ें : रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी: सभी डिब्बों और इंजनों में लगेंगे हाईटेक सीसीटीवी कैमरे