गोरखपुर में दरोगा सोनू कुमार पर गंभीर आरोप, मृतक के भाई ने SSP से लगाई सुरक्षा की गुहार
अनिल यादव की हत्या के बाद भाई सुनील यादव ने दरोगा पर साजिश रचने और दबंगों से मिलीभगत का लगाया आरोप, परिवार में दहशत का माहौल
- गोरखपुर में दरोगा सोनू कुमार पर गंभीर आरोप, मृतक के भाई ने SSP से लगाई सुरक्षा की गुहार
- अनिल यादव की हत्या के बाद भाई सुनील यादव ने दरोगा पर साजिश रचने और दबंगों से मिलीभगत का लगाया आरोप, परिवार में दहशत का माहौल
रिपोर्ट : बाबूलाल सक्सेना : गोरखपुर। जनपद के बांसगांव क्षेत्र में तैनात दरोगा सोनू कुमार की भूमिका इन दिनों सवालों के घेरे में आ गई है। अनिल यादव हत्याकांड के बाद मृतक के भाई सुनील यादव ने पुलिस प्रशासन और मीडिया के सामने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सोनू कुमार स्थानीय दबंगों के साथ मिलकर उनके परिवार को लगातार धमका रहे हैं और साजिशन निशाना बना रहे हैं।
“हमें मारने की साजिश रच रहे हैं सोनू कुमार” – सुनील यादव

सुनील यादव का कहना है कि उनके भाई अनिल यादव की हत्या इटौरा सिवान में दबंगों द्वारा कर दी गई थी। उन्होंने दावा किया कि हत्या के पीछे संगठित साजिश है, जिसमें स्थानीय पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध है।
मृतक के भाई सुनील का कहना है कि “सिर्फ अनिल ही नहीं, अब मुझे भी जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। हमारी मां पर भी हमला हो चुका है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।”
पुलिस पर सवाल, पहले भी उठ चुकी हैं उंगलियां
- गोरखपुर जिले में यह पहला मामला नहीं है जब पुलिसकर्मियों पर भ्रष्टाचार या पक्षपात के आरोप लगे हों।
- हाल ही में एक दरोगा और सिपाही को रिश्वत लेने के मामले में सस्पेंड किया गया था।
- वहीं कुशीनगर में एक अन्य दरोगा पर संदिग्ध भूमिका निभाने के चलते विभागीय जांच चल रही है।
SSP से सुरक्षा की मांग
बढ़ते खतरे और प्रशासनिक निष्क्रियता को देखते हुए सुनील यादव ने गोरखपुर के एसएसपी से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि दरोगा सोनू कुमार को तत्काल प्रभाव से हटा कर निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और वे चैन की सांस ले सकें।
अब तक की स्थिति
✅ अनिल यादव की हत्या की एफआईआर दर्ज
❌ दबंगों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं
❌ पुलिसिया भूमिका की निष्पक्ष जांच नहीं
⚠️ परिवार को लगातार जान से मारने की धमकियां
📩 SSP कार्यालय में शिकायत पत्र जमा
गौरतलब हो कि यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल है। यदि पुलिसकर्मी ही आरोपों के घेरे में आएं तो आम नागरिकों का सुरक्षा और न्याय पर विश्वास कैसे बना रहेगा?