- बड़ी कार्रवाई: गुड्डुआ सहित 14 पशु तस्कर गिरफ्तार, दो ट्रक मवेशी बरामद
रिपोर्ट: अमित कुमार : भागलपुर, बिहार। भागलपुर पुलिस ने एक बार फिर पशु तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात तस्कर सरगना गुड्डुआ पासर सहित कुल 14 तस्करों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। गुरुवार की देर रात एसपी सिटी शुभांक मिश्रा की निगरानी में पुलिस टीम ने लोदीपुर टोल प्लाजा के समीप एक चाय दुकान पर छापेमारी कर इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
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गुड्डुआ का नेटवर्क: अपराध, जालसाजी और राजनीतिक कवच का मिला-जुला खेल
गुड्डुआ उर्फ मो. शाहजहां एक समय में सातवीं पास था, लेकिन तस्करी के इस नेटवर्क में खुद को वैध दिखाने के लिए उसने फर्जी स्नातक डिग्री बनाकर SPCA संस्था में अवर निरीक्षक बन गया। उसने अपने सहायक के तौर पर एक और युवक फैसल असरफी को भी नियुक्त किया था और एसएसपी आनंद कुमार तक से कार्य में मदद मांग डाली थी।
लेकिन सच्चाई सामने आने पर तत्कालीन एसएसपी ने सख्ती दिखाते हुए फर्जीवाड़ा उजागर किया और चेतावनी दी थी। बावजूद इसके गुड्डुआ ने अपना नेटवर्क तैयार कर लिया और चंपारण होटल से लेकर V2 मॉल के पास महंगे रेस्टोरेंट तक खोल लिए।
पुलिस की साख पर सवाल
- 2018 से अब तक कई मामले दर्ज होने के बावजूद गुड्डुआ खुलेआम तस्करी करता रहा।
- रात के अंधेरे में पुलिस की वर्दी पहने अपने गिरोह के साथ वसूली करता था।
- सूत्रों के अनुसार, पुलिस के कुछ स्थानीय अधिकारियों को हर महीने 35-40 हजार रुपये नजराना दिया जाता था ताकि रास्ता साफ रहे।
करोड़ों की अवैध कमाई
- हर हफ्ते 40-50 पशु वाहनों से वसूली
- महीने में अनुमानित 10 से 15 लाख रुपये की अवैध कमाई
- बंगाल, बिहार और झारखंड तक बेनामी संपत्तियों का जाल – कोलकाता में फ्लैट, भागलपुर में दुकानें, होटल, ट्रक और महंगी कारें।
पुलिस कार्रवाई में नया मोड़
गुड्डुआ को पकड़ना आसान नहीं था। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, वह लूडो खेलने में मशगूल था, जिससे पुलिस ने उसे धर दबोचा। उसके खिलाफ रंगरा थाना (नवगछिया) में दर्ज एक लूट का केस (कांड संख्या – 37/24) भी पहले से है।
क्या अब गिरेगा नेटवर्क का पूरा जाल?
इस कार्रवाई से एक बार फिर यह सवाल उठा है कि जब कार्रवाई हो रही है, तो ये तस्कर बार-बार कैसे सक्रिय हो जाते हैं? क्या तस्करों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है? क्या गुड्डुआ जैसे तस्करों को सियासी और सिस्टम की मिलीभगत मिल रही है?
बहरहाल, यह तय है कि गुड्डुआ का नेटवर्क केवल पशु तस्करी नहीं, बल्कि पुलिस, राजनीति और नकली प्रमाणपत्रों के गठजोड़ का जीता-जागता उदाहरण है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या पुलिस इस बार सिर्फ गिरफ्तारी से आगे बढ़कर गुड्डुआ के पूरे सिंडिकेट को नेस्तनाबूद कर पाती है या यह महज एक और “रूटीन एक्शन” बनकर रह जाएगा।
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