अब गया नहीं, “गया जी”… बिहार के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को मिला नया स्वरूप

मुख्यमंत्री के फैसले के स्थानीय लोगों में खुशी, वहीं राजनंदन वर्मा ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वह लोग क्या बोलते थे, लेकिन बाहर के लोग जो पिंडदानी आते थे, वह गया जी , गया जी धाम ही बोलते हैं।

अब गया नहीं, “गया जी “… बिहार के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को मिला नया स्वरूप 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : गया , बिहार। 

बिहार के गया जिले का नाम अब बदल गया है, इसकी नई पहचान अब गया जी के रूप में होंगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट के बैठक में इस पर मोहर लगाए गई हैं। कैबिनेट की बैठक में जिले का नाम बदलने के बाद गया वासियों में काफ़ी खुशी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुराने जमाने में गया का नाम “गया जी” के तौर पर कैबिनेट की बैठक में इसका पारित होना एक बड़ी बात है।

कैबिनेट में गया जी के नाम पर लगी मुहर 

शुक्रवार को कैबिनेट के बैठ में हुआ उसके बारे में मुख्यमंत्री नतीश कुमार ने गया कैबिनेट की बैठक में इस पर मोहर लगाई है। कैबिनेट की गया जिले का नाम बदलने के बाद गया वासियों में काफ़ी खुशी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुराने जमाने में गया का नाम गया जी के तौर पर चलने में था, लेकिन अब विधिवत तौर पर कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया जिले का नाम गया जी के तौर पर स्वीकृत कर दिया।

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लोगों का कहना है कि गयाजी नाम होने से यहां के पौराणिक और धार्मिक अध्याय को पूरे विश्व में और प्रसिद्धि मिलेगी।

पूरे भारत में इसे कहते थे गया जी 

गया के रहने वाले राणा रणजीत सिंह का कहना है कि गया जी नाम का चलन पुराने जमाने से है। देश के तकरीबन सभी राज्यों से आने वाले लोग इसे गया जी बोलते हैं। वह स्थानीय लोग भी सिर्फ गया बोलते हैं, लेकिन भारत के अन्य राज्यों में यह गया जी नाम से प्रचलित है। 

गया का काफ़ी पुराना है इतिहास

राणा रंजीत ने बताया कि पौराणिक कथाओं में मौजूद गयासुर राक्षस के नाम पर इस शहर का नाम गया रखा गया था। भगवान विष्णु ने गदाधर रूप में प्रकट होकर गयासुर के शरीर पर अपना दाहिना पैर रखा, जिससे गयासुर स्थिर हो गया।

गयासुर ने वरदान मांगा कि इस स्थान पर स्नान, तर्पण, दान पुण्य करनाल भगवान का दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाएंगी। गयासुर में यह भी कहा कि यह तीर्थ उसके नाम से प्रसिद्ध हों।

हम लोग सदियों से गया जी नाम का उपयोग करते आ रहे हैं और अब बिहार सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से स्वीकृत कर दिया है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है। यह न सिर्फ हमारी पौराणिक पहचान को फिर से स्थापित करता है, बल्कि दुनिया भर में गया की मेहता को और अधिक मान्यता मिलेगी – राणा रणजीत सिंह, निवासी, गया!

धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

को मिला नया स्वरूप

माना जाता है कि गया जी में भगवान विष्णु प्रकट हुए थे और गयासुर ने उनसे कहा कि यह तीर्थ उसके नाम से प्रसिद्ध हो। इसलिए इसका नाम गया जी रखा गया था।

वहां भगवान विष्णु के पदचिन्ह मौजूद है, जिसके दर्शन करने लोग यहां आते हैं। वहीं लोग पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं।

गया डीएम डॉक्टर त्यागराज एस एम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गया जी नाम देकर जिले को और ऐतिहासिक बनाया है। इस खास मौके को लेकर सभी स्थानीय लोगों में काफी खुशी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गया का नाम गयाजी रखने का निर्णय जिले को और ऐतिहासिक महत्व प्रदान करेगा।

और यह कदम न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करता है बल्कि पूरे विश्व में गया की धार्मिक और ऐतिहासिक पहचान को मजबूती से प्रस्तुत करेगा।

पुराण के अनुसार, गयासुर नाम का एक राक्षस काफी तपस्वी था, उसे मिले वरदान के कारण गयासुर के स्पर्श से प्राणी स्वर्ग लोक जाने लगे, जिससे यमपुरी सुनी होने लगी थी। इसके बाद ब्रह्मा जी ने गयासुर के शरीर पर यज्ञ करने की बात कही।

फिर भी उसका शरीर हिलता रहा। इसके बाद भगवा विष्णु ने गजाधर रूप में उपस्थित होकर अपना दायां पैर गयासुर के शरीर पर रखा, जिससे गयासुर स्थिर हो गया। तब से यह गया के नाम से जाना जाने लगा। यहां गयासुर के ऊपर भगवान विष्णु के पदचिन्ह मौजूद हैं।

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