अधर में ओबीसी ट्रिपल टेस्ट सर्वेक्षण, आयोग के सामने कई चुनौतियां
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष सबसे बड़े चुनौती यह है कि 14 अक्टूबर 2024 से अध्यक्ष का पद रिक्त है। सरकार ने न तो नए अध्यक्ष की नियुक्ति की है और ना ही किसी सदस्य को प्रभारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है।
अधर में ओबीसी ट्रिपल टेस्ट सर्वेक्षण, आयोग के सामने कई चुनौतियां
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : रांची, झारखंड।
झारखंड के शहरी निकायों में रहने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक का सर्वेक्षण, जिसे ट्रिपल टेस्ट के रूप में माना जाता है।
अभी भी अधर में लटका हुआ है। इसी सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन कई चुनौतियां सामने आई हैं। खासकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष के पद के खाली होने के कारण.
सर्वेक्षण की प्रगति
काफी प्रयासों के बाद सभी जिलों से तैयार रिपोर्ट राज्य चुनाव वर्ग आयोग तक पहुंच चुकी है। आयोग अब इस रिपोर्ट को समेकित रूप से तैयार करने के लिए बड़े शैक्षणिक या सामाजिक आर्थिक अध्ययन संस्थाओं को जिम्मेदारी रोकने की प्रक्रिया में है।
गुरुवार 9 जून 2025 को टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी और चयनित संस्थान को पहले जन्म रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य दिया जाएगा। आयोग के सदस्य सचिव कृष्ण कुमार सिंह ने उन्हें जाता है कि यह कार्य 1 महीने में पूरा हो सकता है। उनके अनुसार मध्य प्रदेश के तर्ज पर झारखंड में यह रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
आयोग में अध्यक्ष का पद खाली
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के समाचार सबसे बड़ी चुनौती है कि 14 अक्टूबर 2024 से अध्यक्ष का पद रिक्त है। सरकार ने ना तो नए अध्यक्ष की नियुक्ति की है और ना ही किसी सदस्य को प्रभारी अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी है।
वर्तमान में आयोग में केवल दो सदस्य और एक सदस्य सचिव कार्यरत है, जबकि प्रावधान के अनुसार आयोग में अध्यक्ष के अलावा तीन सदस्यों के पद सृजित हैं। संवैधानिक व्यवस्था के तहत, ओबीसी ट्रिपल टेस्ट जैसी महत्वपूर्ण रिपोर्ट को केवल आयोग का अध्यक्ष की जारी कर सकता है। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में यह रिपोर्ट कल्याण सचिव के माध्यम पर सरकार को सौंपी जाएगी।
आयोग के सदस्य सचिव कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार आयोग का अध्यक्ष कस्टोडियन होता है। यदि अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होती तो रिपोर्ट कल्याण सचिव के लिए सरकार तक पहुंचाई जाएगी।
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शहरी निकायों में सर्वेक्षण
झारखंड में 48 शहरी निकाय है, जिनमें 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद और 19 नगर पंचायत शामिल है।
नगर निगम…..
- रांची,
- हजारीबाग,
- मदिनीनगर,
- धनबाद,
- गिरिडीह,
- देवघर,
- चास,
- आदित्यपुर और मान्गो।
नगर परिषद ……
- गढ़वा,
- विश्रामपुर,
- चाईबासा,
- झुमरी
- तलैया,
- चक्रधरपुर,
- चतरा,
- चिरकुंडा,
- दुमका,
- पाकुड़,
- गोड्डा,
- गुमला,
- जुगसलाई,
- कपाली,
- लोहरदगा,
- सिमडेगा,
- मधुपुर,
- रामगढ़,
- साहिबगंज,
- खुसरो और मिहिजाम।
नगर पंचायत …….
- बंशीधरनगर,
- मंझिआव,
- हुसैनाबाद,
- हरिहरगंज,
- छतरपुर, लातेहार, कोडरमा,
- डोमचांच, बड़की सरैया,
- धनवार, महगामा, राजमहल,
- बरहरवा, बासुकीनाथ,
- जामताड़ा, बुंडू, खुंटी,
- सरायकेला और चाकुलिया।
शहरी निकाय चुनाव पर प्रभाव
ओबीसी ट्रिपल टेस्ट के कारण झारखंड में शहरी निकाय के चुनाव कई वर्षों से रुके हुए हैं इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल एक अवमानना याचिका पर छह जुलाई होने वाली है।
इस दबा के कारण आयोग रिपोर्ट को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है।
वैधता पर सवाल
आयोग के समक्ष एक अन्य चुनौती यह है कि अध्यक्ष की अनुपस्थिति में तैयार होने वाली इस रिपोर्ट की व्यवस्था पर सवाल उठा सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि संवैधानिक प्रावधानों के अभाव में इस रिपोर्ट को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग एक सर्वेक्षण को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। टेंडर प्रक्रिया के बाद जनित संस्थान को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी और उम्मीद है कि एक महीने में यह कार्य पूरा हो जाएगा।
सरकार द्वारा अध्यक्ष की नियुक्ति और आयोग की पूर्ण कार्य क्षमता सुनिश्चित करना कि प्रक्रिया को और मजबूती प्रदान करेगा।
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