ऐतिहासिक नारायण तालाब के गुनाहगारों को आखिर क्यों नहीं मिली सजा?, नगर निगम के निर्माण एजेंसी पर मेहरबानी क्यों?

नारायण तालाब की घटना सामने आई है, उससे एक बात तो तय है कि लापरवाही के साथ विकास के नाम पर रणनीति के तहत लीपा - पोती को अंजाम दिया जा रहा है। निर्माण एजेंसी के विरुद्ध अब तक कोई कार्यवाही ना होना इस बात का साथ संकेत है कि मामले को दबाया जा रहा है। ऐसा होने के पीछे राजनैतिक दल को वजह बताया जाता है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार सतना (मध्य प्रदेश)। जमीन को लेकर माफियाओं को बढ़ती भूख के कारण वैसे भी सतना शहर में प्राकृतिक जल स्रोतों तालाबों की हालत दयनीय बनी हुई है, ऐसे में गिनती की के जो तालाब शेष बचे हुए हैं, उनकी भी सही तरीके से देखने नहीं हो रही है। सतना शहर के उतैली क्षेत्र में ऐतिहासिक नारायण तालाब लोगों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र साबित होता था।

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लेकिन प्रशासन और ठेकेदार की बड़ी लापरवाही ने इन तालाब की सुंदरता पर ग्रहण लगा दिया है। बीते दिन बीते दिनों जेसीबी मशीन से तालाब की मेड़ समतल करने के दौरान चूक होने पर नारायण तालाब कल लाखों लीटर पानी उतैली सहित अन्य रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस गया था। 

सतना नगर निगम ने जिस ठेकेदार को नारायण तालाब सौंदर्यीकरण का ठेका दिया था, उसके कर्मचारियों की मेड़ फूटने का सबसे बड़ा कारण साबित हुई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि नारायण तालाब को पानी विहीन करने वाले गुनाहगारों को प्रशासन आखिर कब सजा देगा? कहीं ऐसा तो की नारायण तालाब मामले में कागजी खानापूर्ति पूरी करते हुए चहेते ठेकेदार को बचाने की योजना पर काम हो रहा है?

सवालों के घेरे में समक्ष जनप्रतिनिधियों की भूमिका………..

जिस तरीके से नारायण तालाब की घटना सामने आई है उससे एक बात तो यह तय होती है कि लापरवाही के साथ विकास के नाम पर रणनीति के तहत लीपा – पोती को अंजाम दिया जा रहा है। निर्माण एजेंसी के विरुद्ध अब तक कोई कार्यवाही ना होना इस बात का साफ संकेत है कि मामले को दबाया जा रहा है। ऐसा होने के पीछे राजनैतिक दखल को वज़ह बताया जाता है। बड़ी संख्या में जिस तरह के लोगों को तालाब फूटने के कारण परेशान होना पड़ा है, वैसे में दोषी पर तत्काल एक्शन होना चाहिए। आखिर सतना सांसद गणेश सिंह और राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अब तक कोई सार्थक संज्ञान क्यों नहीं लिया है?

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नारायण तालाब के दोषी निर्माण एजेंसी को बचाने का काम कौन कर रहा है? प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर आम जनता की निगाहें बराबर टिकी हुई है, सबका एक्शन का इंतजार है।

चहेते ठेकेदार को बचाने का खेल, किसका मिल रहा है, संरक्षण!………………

सतना नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार ऐतिहासिक नारायण तालाब को पानी विहीन करने वाले चहेते ठेकेदार को बचाने की योजना पर काम किया जा रहा है। ठेकेदार को राजनैतिक संरक्षण मिलने की वजह से इतनी बड़ी घटना के बाद भी अभय दान दिया गया है। हैरत की बात यह है कि इतने बड़े मामले पर एक्शन लेने के बजाय महापौर और नगर निगम आयुक्त ने सुनियोजित चुप्पी साध ली है। गजब की बात यह है कि सतना का नगर निगम, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि जो नारायण तालाब की मेड़ को तोड़ने वाले और सैकड़ो लोगों को क्षति पहुंचाने वाले ठेकेदार को दंडित करने के बजाय उसके सामने नतमस्तक हो गये हैं। अब ऐसे हालत में विकास कितनी मजबूती से सरकार किया जाएगा। इस सत्य को बखूबी समझा जा सकता है?