इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में निर्णय सुरक्षित किया, इंतजामिया कमेटी ने पोषणीयता को दी है चुनौती
जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर हाई कोर्ट ने भारतीय एएसआई को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोई हलफनामा दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने आगे का समय दिया। यह पुनरीक्षण याचिका सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में निर्णय सुरक्षित किया , इंतजामिया कमेटी ने पोषणीयता को दी है चुनौती
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : प्रयागराज , उत्तर प्रदेश।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल जामा मस्ज़िद और हरिहर मंदिर विवाद को लेकर दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर निर्णय सुरक्षित कर लिया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने जामा मस्जिद इंतजामिया में कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी होने पर दिया।
हरिशंकर जैन व सात अन्य ने सिविल जस्टिस सीनियर डिवीजन संभल की अदालत में एक मुक़दमा किया है।
जिसमें यह तर्क दिया गया है कि संभल के को पूर्वी स्थित जामा मस्जिद एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी।
हरिहर मंदिर में प्रवेश के अधिकार की मांग
वादी ने हरिहर मंदिर में प्रवेश के अधिकार की घोषणा की मांग की गई। दीवानी अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एएसआई को एडवोकेट कमिश्नर के साथ सर्वे का निर्देश दिया था और मुकदमे की पोषणीयता पर भी सवाल उठाया था।
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हाई कोर्ट ने संभल की दीवानी अदालत के समक्ष लंबित मूल मुकदमें की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
पोषणीयता को चुनौती
जामा मस्जिद इंतजामिया में कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर हाई कोर्ट ने भारतीय एएसआई को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोई हलफनामा दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने आगे का समय दिया है।
यह पुनरीक्षण याचिका सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की बात की गई, जिसमें संभल की दीवानी अदालत के समक्ष पूरी कार्यवाही के साथ मुकदमें की पोषणीयता को चुनौती दी गई।
याचिका में कहा गया है कि मुक़दमा 19 नवंबर 2024 को दोपहर दाखिल किया गया था और कुछ ही घंटों के भीतर अदालत में एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया।
साथ ही उसे मस्जिद में प्रारंभिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया। जो उसी दिन यानी 19 नवंबर को और फिर 24 नवंबर 2024 को किया गया था।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाएं। दीवानी अदालत ने 19 नवंबर को ही हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि मस्जिद मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1526 में संभल में हरिद्वार मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी।
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