बहराइच का ‘जेठ मेला’ खतरे में? दुकानों की नीलामी अचानक रद्द, श्रद्धालुओं (अकीदतमंदों) में बेचैनी
संभल के 'नेजा मेले' के बाद अब बहराइच के ऐतिहासिक मेले पर भी संकट के बादल
अनिल बाजपेई (CEO& Group Editor) Bahraich’s’ Jeth Fair : बहराइच का ‘जेठ मेला : बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हर साल लगने वाले ऐतिहासिक ‘जेठ मेले’ को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। दरगाह सैयद सालार मसूद गाजी पर होने वाले इस मेले की दुकानों की नीलामी अचानक रद्द कर दी गई, जिससे व्यापारियों और श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति है। इससे पहले संभल जिले में ‘नेजा मेले’ पर प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई थी, और अब बहराइच में भी मेले के आयोजन को लेकर संशय गहरा गया है।
बहराइच के ‘जेठ मेले’ की नीलामी अचानक स्थगित

बहराइच की ऐतिहासिक दरगाह सैयद सालार मसूद गाजी पर हर साल ‘जेठ मेला’ का आयोजन होता है, जो एक महीने तक चलता है। यह मेला पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। रविवार को मेले की दुकानों की नीलामी होनी थी, लेकिन प्रबंध समिति ने “अपरिहार्य कारणों” का हवाला देते हुए इसे अचानक स्थगित कर दिया।
प्रशासन ने जारी किया नोटिस

वक्फ दरगाह शरीफ के प्रभारी प्रबंधक अजीमुल हक ने कहा, “वार्षिक दुकानों की तहबाजारी व नीलामी को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है। आगे का निर्णय उच्च प्रशासनिक निर्देशों के आधार पर लिया जाएगा।”
दरगाह परिसर की दीवारों पर इस संबंध में नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया, जिससे स्थानीय लोगों और व्यापारियों में बेचैनी बढ़ गई है। वहीं जिले के अधिकारी अभी तक इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।
संभल में ‘नेजा मेला’ पर पहले ही लग चुकी है रोक
इससे पहले संभल जिले में भी ‘नेजा मेले’ पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। संभल के एएसपी श्रीश चंद्र ने आयोजकों को स्पष्ट रूप से कहा था कि “जिसने सोमनाथ मंदिर को लूटा, उसके नाम पर कोई मेला नहीं होगा। अगर झंडा (ढाल गाढ़ी) लगाया गया, तो इसे राष्ट्रद्रोह माना जाएगा।”
संभल में प्रशासन के इस सख्त रुख के बाद अब बहराइच में भी ‘जेठ मेले’ के आयोजन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, अभी तक प्रशासन ने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन मेले की नीलामी रोकने के फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
व्यापारियों और श्रद्धालुओं में नाराजगी
हर साल लगने वाले इस मेले से हजारों दुकानदारों की रोजी-रोटी जुड़ी होती है। अचानक नीलामी रद्द होने से वे परेशान हैं। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अगर मेला स्थगित होता है, तो उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।
वहीं, श्रद्धालु भी असमंजस में हैं। यह मेला धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है और इसका न होना स्थानीय निवासियों के लिए निराशाजनक होगा।
क्या प्रशासन जल्द लेगा कोई बड़ा फैसला?
संभल के ‘नेजा मेले’ के बाद अब बहराइच का ‘जेठ मेला’ भी विवादों में आ गया है। अगर विवाद बढ़ता है, तो प्रशासन इस मेले पर भी रोक लगा सकता है। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।
सैयद सालार मसूद गाजी की मजार और सूर्य कुंड का संबंध
ऐतिहासिक और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार उसी स्थान पर बनी है, जहां पहले सूर्य कुंड हुआ करता था। यह तथ्य हिंदू और मुस्लिम दोनों ऐतिहासिक स्रोतों में उल्लेखित मिलता है, हालांकि इसे लेकर मतभेद भी हैं।
असलियत और ऐतिहासिक संदर्भ
1. सूर्य कुंड का प्राचीन महत्व:
- बहराइच का सूर्य कुंड हिंदू धर्म में सूर्य उपासना के लिए प्रसिद्ध था।
- इसे एक पवित्र स्थल माना जाता था, जहां राजा-महाराजा और आम लोग सूर्य देव को जल अर्पित करने आते थे।
- यह स्थान विशेष रूप से छठ पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध था।
2. 1033 ई. का युद्ध और परिवर्तन:
- 1033 ईस्वी में, राजा सुहेलदेव और सैयद सालार मसूद गाजी के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था।
- इस युद्ध में सुहेलदेव के नेतृत्व में स्थानीय हिंदू राजाओं ने सालार मसूद की सेना को हराकर उसे मार गिराया।
- युद्ध के बाद, उस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुए, और धीरे-धीरे सूर्य कुंड का अस्तित्व समाप्त हो गया।
3. मजार का निर्माण:
- माना जाता है कि युद्ध के बाद मुस्लिम शासकों और अनुयायियों ने सालार मसूद की मजार वहीं स्थापित कर दी, जहां पहले सूर्य कुंड स्थित था।
- इस कारण से कई हिंदू मानते हैं कि यह स्थल मूल रूप से उनका पवित्र स्थान था, जिसे बाद में एक दरगाह में बदल दिया गया।
- हालांकि, मुस्लिम समुदाय इसे एक सूफी संत की मजार मानता है और इसे एक आध्यात्मिक स्थल के रूप में देखता है।
इतिहास बनाम लोक मान्यताएँ
हिंदू दृष्टिकोण: इसे मूल रूप से सूर्य कुंड मानते हैं, जिसे बाद में बदल दिया गया।
मुस्लिम दृष्टिकोण: इसे सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी की मजार मानते हैं, जहां हर साल उर्स होता है।
ऐतिहासिक तथ्यों और लोक मान्यताओं के अनुसार, बहराइच की मजार वास्तव में उस स्थान पर बनी हो सकती है, जहां पहले सूर्य कुंड था। हालाँकि, इसे लेकर विवाद और मतभेद मौजूद हैं। हिंदू पक्ष इसे अपने धार्मिक स्थल के रूप में देखते हैं, जबकि मुस्लिम इसे एक सूफी मजार मानते हैं।