भारत से भेजी गई आमों की 15 खेप को अमेरिका ने लौटा दिया, अमेरिका ने 4 करोड़ के भारतीय आम की खेप बर्बाद कर दी
जानकारी के अनुसार, यह खेप लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को , और अटलांटा के एयरपोर्ट पर रोकी गई। अमेरिकी अधिकारी को कहना है कि रेडिएशन प्रक्रिया के कागजात में गलतियां पाई गई है। यह प्रक्रिया फलों में मौजूद कीड़ों को मारने और लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए की जाती है।
भारत से भेजी गई आमों की 15 खेप को अमेरिका ने लौटा दिया , अमेरिका ने 4 करोड़ के भारतीय आम की खेप बर्बाद कर दी
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली।
💢 फलों के राजा कहे जाने वाले आम की दुनियाभर में भारी डिमांड है। अमेरिका भारतीय आमों का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन हाल ही में भारत से भेजी गई आमों की 15 खेप को अमेरिका ने लौटा दिया या नष्ट कर दिया।
इसका विकिरण प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज में गड़बड़ी बताया गया। इन आमों की कुल कीमत 4 करोड़ रुपए से अधिक थी। ऐसे में खुद को भारत का परम मित्र कहने वाले अमेरिका ने चार करोड़ के भारतीय आम की खेप बर्बाद कर दी है।
अमेरिका में रोकी गई खेप
जानकारी के अनुसार, यह खेप लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा के एयरपोर्ट्स पर रोकी गई। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि रेडिएशन की प्रक्रिया के कागजातों में गलतियां पाई गई।
यह प्रक्रिया फलों में मौजूद कीड़ों को मारने और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए की जाती है। हालांकि, अमेरिकी सीमा शुल्क अधिकारियों ने दस्तावेजों में त्रुटियों का हवाला देते हुए खेप को स्वीकार नहीं किया।
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यह बर्बाद होने की वज़ह
निर्यातकों के अनुसार, समस्या कीड़ों से नहीं, बल्कि कीड़ों को मारने की प्रक्रिया की दस्तावेजों में थी, यह आम 8 और 9 मई को मुंबई में विकिरणित किए गए थे। जहां अमेरिकी कृषि विभाग के एक अधिकारी की देख-रेख में प्रक्रिया हुई।
यह अधिकारी PPQ203 फॉर्म को प्रमाणित करता है, जो अमेरिका में आमों के आयात के लिए अनिवार्य है।
नाम न बताने की शर्त पर एक निर्यातक के हवाले से कहा गया है कि नवी मुंबई के विकिरण केंद्र में हुई गलतियों की सज़ा उन्हें भुगतनी पड़ी।
उनके अनुसार, USDA के अधिकारी की उपस्थिति में भी प्रक्रिया में चूक हुई।
वापस आएंगे आम?
अमेरिकी अधिकारियों ने विकल्प दिया है कि या तो आमों को अमेरिका में नष्ट कर दिया जाएं, या भारत वापस भेज दिया जाएं।
लेकिन आम जल्दी खराब हो जाते हैं और उन्हें वापस भेजने का खर्च काफ़ी अधिक होता है। इसलिए सभी निर्यातकों ने उन्हें नष्ट करने का फैसला किया।
जिससे उन्हें लगभग 4.28 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
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