भागलपुर में बड़ा ज़मीन घोटाला: सरकारी ज़मीन की फर्जी रजिस्ट्री और जमाबंदी, राजस्व विभाग पर सवाल

राजस्व विभाग और अंचल कर्मियों की मिलीभगत से बिहार सरकार की ज़मीन निजी नाम पर रजिस्टर्ड, महादलित परिवारों पर बेघर होने का संकट

रिपोर्ट :अमित कुमार : भागलपुर। बिहार के भागलपुर जिले से एक बेहद चौंकाने वाला ज़मीन घोटाला सामने आया है। यहां सरकार की जमीन को ही फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर निजी व्यक्ति के नाम पर चढ़ा दिया गया है। सबसे हैरानी की बात ये है कि इस खेल में राजस्व विभाग और अंचल कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। नतीजा ये है कि सरकारी ज़मीन पर पीढ़ियों से रह रहे महादलित परिवार अब बेघर होने की कगार पर हैं।

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Big land scam in Bhagalpur: Fake registry and Jamabandi of Government land, question on revenue departmen

भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड अंतर्गत गोटखरीक पंचायत के वार्ड संख्या 13 में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। वर्षों से इस इलाके की खाता संख्या 3408 और खेसरा संख्या 3409 को बिहार सरकार की अनावाद भूमि के रूप में दर्ज किया गया था। इस ज़मीन पर लगभग 70-80 महादलित परिवार कई पीढ़ियों से रह रहे हैं। इन परिवारों ने झोपड़ी और खपरैल के घर बनाकर जीवन गुज़ारा है।

जनवरी 2024 में जब सूचना अधिकार (RTI) के तहत तत्कालीन अंचलाधिकारी निशांत कुमार से इस भूमि की स्थिति पूछी गई, तो उन्होंने साफ तौर पर बताया कि यह भूमि बिहार सरकार की है और इसे कोई निजी व्यक्ति नहीं बेच या खरीद सकता। लेकिन अक्टूबर 2024 में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि यही ज़मीन अचानक किसी कर्णदेव सिंह नामक व्यक्ति के नाम रजिस्टर्ड हो चुकी है और उनकी जमाबंदी भी हो गई है।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये फर्जीवाड़ा हुआ कैसे? RTI में जो ज़मीन बिहार सरकार की बताई गई, वही ज़मीन कुछ महीनों बाद निजी रजिस्ट्री में कैसे बदल गई?

जाहिर है, इस पूरे मामले में राजस्व विभाग, अंचल कार्यालय और पंजीयन विभाग के कुछ कर्मचारियों और पदाधिकारियों की भूमिका पर बड़ा सवाल उठता है।

Big land scam in Bhagalpur: Fake registry and Jamabandi of Government land, question on revenue departmenइस फर्जी रजिस्ट्री का सबसे बड़ा नुकसान इन गरीब महादलित परिवारों को होने जा रहा है, जिन्हें अब वहां से हटाने की तैयारी हो रही है। इस पर ना तो प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्यवाही की है और ना ही कोई जवाबदेही तय की गई है।

यह कोई पहला मामला नहीं है, बिहार में इस तरह सरकारी ज़मीन की फर्जी बिक्री और जमाबंदी के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन सरकार या विभागीय निगरानी में अब तक कोई ठोस बदलाव नहीं आया है।

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