सीडीओ बोले – एक की जान तो चली गई, पांच को तो बचा लो

शुक्रवार दोपहर 3:00 बजे सीडीओ फोन बोरा डायलिसिस विभाग का निरीक्षण कर रहे थे कि तभी महिला सलमा दौड़कर वहां आई। बिजली न होने पर डायलिसिस के बीच में ही रुकने पर अपने बेटे की जान बचाने की दुहाई लगाने लगी।

सीडीओ बोले – एक की जान तो चली गई , पांच को तो बचा लो

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : बिजनौर , उत्तर प्रदेश।

मेडिकल अस्पताल के डायलिसिस विभाग निरीक्षण के दौरान, सीडीओ पूर्ण बोरा के सामने एक मरीज की मौत हुई,

तो पांच अन्य डायलिसिस पर चल रहे थे, तो वह चिल्ला उठे, एक तो मर गया।

अब इन पांच मरीजों को तो बचा लो।

कैन में एक बूंद भी डीजल ना होने पर अपने ही बाबू को फोन करके यहां 50 लीटर डीजल जल्द भेजो, पांच जिंदगियों का सवाल हैं।

शुक्रवार दोपहर 3:00 बजे सीडीओ पूर्ण बोरा डायलिसिस विभाग का निरीक्षण कर रहे थे कि तभी महिला सलमा दौड़कर वहां आई। बिजली ना होने पर डायलिसिस बीच में ही रुकने पर अपने बेटे की जान बचाने की दुहाई लगाने लगी।

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सीडीओ मौके पर पहुंचे तो देखा कि बिजली के जाते ही सब कुछ ठप हो गया। मरीज तब गर्मी में बिलबिला रहे थे। उन्होंने जनरेटर चलाने को कहा, तो कर्मचारी बोले की डीजल ही नहीं हैं।

मैनेजर डीजल के पैसे नहीं देते हैं। वार्ड से बाहर आकर डीजल की कैन देखी, तो उसमें एक बूंद डीजल नहीं था। तब तक 3:30 बज चुके थे।

स्टाफ और चिकित्सक वार्ड की ओर दौड़े। तब तक सरफराज बेहोश हो चुका था। मॉनिटर पर उसकी धड़कन रूकी हुई नज़र आई। उसका आधा ब्लड अभी मशीन में ही था। जो उसे चढ़ाया जाना था।

वहां तैनात कर्मचारी ने सीपीआर देना शुरू किया और चकित्सक केवल हाथ लगाकर देखने के अलावा कुछ ना कर सकें।

सीडीओ पूर्ण बोरा कर्मचारियों को निर्देश देते हुए युवक को बचाने की कोशिश में जुट गए। स्टाफ सरफराज को उठाकर इमरजेंसी में ले गया, लेकिन वहां पर वह दम तोड़ चुका था।

सीडीओ बदहाल व्यवस्था को देख तिलमिला उठे। मौके पर देखा कि पांच और लोगों की डायलिसिस बिना बिजली के अटकी हुई थी।

वह चिल्ला पड़े, एक तो चला गया, अब इनको तो बचा लो। उन्होंने तुरंत अपने स्टाफ को फोन करके 50 लीटर डीजल भेजने को कहा हैं।

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