इलाहाबाद हाई कोर्ट के रेप केस में विवादित टिप्पणी: महिला को ही ठहराया गया ज़िम्मेदार
कोर्ट ने दिया ज़मानत का आदेश, कहा- महिला ने खुद जोखिम भरे हालात चुने; फैसले पर देशभर में छिड़ी बहस
रिपोर्ट : राजीव कृष्ण श्रीवास्तव : प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह न्याय नहीं, बल्कि न्याय की भाषा है। बलात्कार के एक मामले में आरोपी को ज़मानत देते हुए कोर्ट की टिप्पणी ने देशभर में बहस छेड़ दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया, जिससे जो हुआ, उसकी जिम्मेदार भी वही है। इस टिप्पणी को लेकर महिला अधिकार संगठनों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश है।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले ने एक बार फिर न्यायपालिका की सोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बलात्कार के एक मामले में आरोपी को ज़मानत देते हुए कोर्ट ने जो टिप्पणी की, उससे एक नई बहस शुरू हो गई है।
यह मामला उत्तर प्रदेश की एक एम.ए. की छात्रा से जुड़ा है, जिसने सितंबर 2024 में अपने एक पुरुष मित्र पर रेप का आरोप लगाया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान, जस्टिस संजय कुमार सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला ने खुद ही जोखिम भरे हालात को चुना, ऐसे में उसके साथ जो हुआ, उसकी जिम्मेदार भी वही है।
जानिए क्या था मामला?
वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन तिवारी के मुताबिक, छात्रा अपनी तीन महिला मित्रों के साथ दिल्ली के एक बार में गई थी, जहां उनकी मुलाकात कुछ परिचित पुरुषों से हुई। छात्रा का आरोप है कि वो शराब के नशे में थी और अभियुक्त उसे बार-बार अपने साथ चलने को कहता रहा। आखिरकार, वह उसके साथ आराम करने के इरादे से जाने को तैयार हो गई।
लेकिन युवक उसे अपने घर ले जाने के बजाय नोएडा स्थित अपने रिश्तेदार के फ्लैट में ले गया, जहां छात्रा का आरोप है कि उसने उसके साथ बलात्कार किया। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद दिसंबर 2024 में युवक को गिरफ्तार कर लिया गया।
अदालत में क्या हुआ?
अभियुक्त ने अदालत में अपनी ज़मानत याचिका में कहा कि यौन संबंध दोनों की सहमति से बने थे और छात्रा खुद ही उसके साथ गई थी। उसने रेप के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उसे गलत तरीके से फंसाया जा रहा है।
कोर्ट की विवादित टिप्पणी
जस्टिस संजय कुमार सिंह की बेंच ने कहा, “अगर महिला के बयान पर ही यकीन किया जाए तो उसने खुद आराम के लिए युवक के साथ जाने का फैसला किया। ऐसे में उसने खुद ही अनजाने हालात में जाने का जोखिम उठाया।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में जबरदस्ती के कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले, हालांकि लड़की का हाइमन टूटा हुआ पाया गया।
इन्हीं तथ्यों के आधार पर अदालत ने आरोपी को ज़मानत दे दी और कहा कि इस स्थिति की जिम्मेदार खुद महिला है।
विवाद और प्रतिक्रियाएं
इस टिप्पणी को लेकर कई महिला संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को कमज़ोर करती हैं और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को हल्के में लिया जाता है।
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