
NHAI में भ्रष्टाचार: 15 लाख की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा गया GM, CBI ने 1.18 करोड़ कैश बरामद किया
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) में भ्रष्टाचार के बड़े खेल का खुलासा
रिपोर्ट : राजीव कृष्ण श्रीवास्तव
नई दिल्ली/पटना। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) में भ्रष्टाचार के बड़े खेल का खुलासा हुआ है। CBI ने NHAI के महाप्रबंधक (GM) को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया। इस ऑपरेशन में एक निजी कंपनी के GM समेत चार अन्य लोगों को भी पकड़ा गया है।
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CBI की स्पेशल टीम ने 22 मार्च 2025 को पटना में एक ट्रैप ऑपरेशन के तहत यह कार्रवाई की। इसके बाद पटना, वाराणसी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, पूर्णिया और रांची में छापेमारी की गई, जहां से 1.18 करोड़ रुपये नकद और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए।
कैसे हुआ रिश्वतखोरी का खुलासा?
CBI ने इस घोटाले में 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिसमें छह सरकारी अधिकारी, एक निजी कंपनी और चार निजी प्रतिनिधि शामिल हैं।
- आरोप: NHAI के अधिकारी और प्राइवेट कंपनी के लोग ठेके के भुगतान पास कराने के लिए रिश्वत ले रहे थे।
- डील: 15 लाख रुपये की रिश्वत पटना में NHAI के GM को दी जानी थी।
- CBI ने रंगेहाथ पकड़ा: जैसे ही निजी कंपनी के GM ने रिश्वत की रकम सौंपी, CBI की टीम ने छापा मारकर NHAI के GM और रिश्वत देने वाले अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया।
वाराणसी, मुजफ्फरपुर समेत कई शहरों में CBI का छापा
CBI की टीम ने पटना, वाराणसी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, पूर्णिया और रांची में एक साथ छापेमारी की। इस दौरान –
✅ 1.18 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए।
✅ कई डिजिटल डिवाइस और अहम दस्तावेज जब्त किए गए।
✅ CBI को शक है कि इस घोटाले के तार देश के अन्य राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं।
वाराणसी से क्या मिला? यूपी कनेक्शन का खुलासा
CBI को वाराणसी में छापेमारी के दौरान कई डिजिटल दस्तावेज और संदिग्ध पेमेंट डिटेल्स मिली हैं। सूत्रों के मुताबिक, यहां के कुछ बिल पास कराने में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया है।
CBI यह भी जांच कर रही है कि प्रयागराज, गोरखपुर और अन्य शहरों में चल रहे हाईवे प्रोजेक्ट्स में भी रिश्वतखोरी का खेल हुआ है या नहीं।
NHAI रिश्वत कांड: कौन-कौन हैं आरोपी?
इस घोटाले में कुल 12 लोगों पर केस दर्ज किया गया है –
🔹 NHAI के 6 सरकारी अधिकारी (GM सहित)
🔹 4 निजी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी
🔹 1 निजी ठेकेदार
CBI के मुताबिक, NHAI के अधिकारियों ने मिलकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया।
CBI की जांच जारी, जल्द हो सकती हैं और गिरफ्तारियां
CBI ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआती कार्रवाई है और इस केस में कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
📌 CBI की टीम डिजिटल डिवाइसेज और बैंक ट्रांजैक्शन की गहराई से जांच कर रही है।
📌 अगले कुछ दिनों में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
📌 NHAI के कई अन्य अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
क्या यूपी में हाईवे प्रोजेक्ट्स पर लटकी जांच की तलवार?
इस मामले के खुलासे के बाद अब उत्तर प्रदेश में चल रहे हाईवे प्रोजेक्ट्स पर भी सवाल उठ रहे हैं।
✅ CBI अब यह जांच कर रही है कि वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और अन्य शहरों में भी इसी तरह भ्रष्टाचार हुआ है या नहीं।
✅ यदि ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत साबित होती है, तो कई और NHAI अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
गौरतलब हो कि NHAI में रिश्वतखोरी का यह मामला सरकारी तंत्र में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है। CBI की इस कार्रवाई से कई बड़े अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच आगे क्या मोड़ लेती है और कितने और नाम इस घोटाले में सामने आते हैं।
एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) से संबंधित हाल के कुछ महत्वपूर्ण घोटाले
एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) से संबंधित घोटाले के बारे में जानकारी मांगी है। हाल के समय में एनएचएआई से जुड़े कुछ प्रमुख घोटाले सामने आए हैं:
- पटना में रिश्वत कांड: मार्च 2025 में, सीबीआई ने पटना में एनएचएआई के महाप्रबंधक रामप्रीत पासवान को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। इस मामले में एक निजी कंपनी के महाप्रबंधक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोप था कि ठेके से जुड़े कार्यों और बिलों को पास कराने के एवज में यह रिश्वत मांगी गई थी।
- टोल टैक्स घोटाला: जनवरी 2025 में, उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर 120 करोड़ रुपये के टोल टैक्स घोटाले का खुलासा किया। टोल कर्मियों ने सॉफ्टवेयर हैक करके टोल वसूली में हेराफेरी की, जिससे एनएचएआई को भारी नुकसान हुआ। इस मामले में तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया।
- फोरलेन भूमि अधिग्रहण घोटाला: सितंबर 2024 में, बरेली-सितारगंज फोरलेन परियोजना में 59 करोड़ रुपये के भूमि अधिग्रहण घोटाले का खुलासा हुआ। जांच में एनएचएआई के दो परियोजना निदेशक, सात लेखपाल, एक अमीन, कंसल्टेंसी एजेंसियों के पांच प्रतिनिधि और दो साइट इंजीनियर समेत कुल 21 लोग दोषी पाए गए।
इन घोटालों ने एनएचएआई की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उम्मीद है कि संबंधित अधिकारी इन मामलों में सख्त कार्रवाई करेंगे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।
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