देहरादून का मॉरिसन मेमोरियल चर्च बना विवाद का केंद्र, पादरी की नियुक्ति पर हंगामा

पूर्व पत्र निर्मल जैकप का तबादला चर्च कमेटी और स्थानीय लोगों को नागवार गुज़रा। नवनियुक्त पादरी पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज होने के आरोप लगाए गए। स्थानीय समुदाय ने तबादले को चर्च की ज़मीन से जुड़ी साजिश बताया है।

देहरादून का मॉरिसन मेमोरियल चर्च बना विवाद का केंद्र , पादरी की नियुक्ति पर हंगामा 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : देहरादून , उत्तराखंड ।

राजपुर रोड स्थित प्रसिद्ध मॉरिसन मेमोरियल चर्च में रविवार को उस समय तनाव पैदा गया हो गया, जब नव नियुक्त पादरी की तैनाती को लेकर चर्च में मौजूद लोगों ने हंगामा कर दिया।

मामला पूर्व पादरी निर्मल जैकप के तबादले से जुड़ा है। जिन्हें हटाकर एक विवादित पृष्ठभूमि वाले नए पादरी को भेजा गया।

क्या है पूरा मामला? 

पूर्व पादरी निर्मल जैकप का तबादला चर्च कमेटी और स्थानीय लोगों को नागवार गुज़रा।

नव नियुक्त पादरी पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज होने के आरोप लगाए गए।

स्थानीय समुदाय ने तबादले को चर्च की ज़मीन से जुड़ी साज़िश बताया।

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पुलिस तैनात, हंगामा और विरोध प्रदर्शन 

रविवार सुबह से ही चर्च के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा ताकि कोई अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो जाएं।

हंगामे के बाद नव नियुक्त पादरी को चर्च से लौटाना पढ़ा।

अंततः निर्मल जैकप ने ही प्रार्थना कराई, जिससे स्थिति थोड़ी सामान्य हो पाई।

पक्ष -विपक्ष में क्या बोले लोग ?

एम पावर कमेटी के अध्यक्ष संजय वाशिंगटन ने आरोप लगाया कि ” यह तबादला उन लोगों के दबाव में किया गया है, जो चर्च की ज़मीन को खुर्द – बुर्द करना चाहते हैं

उनका दावा है कि निर्मल जैकप ने सेंट थॉमस चर्च की अनियमितताओं को उजागर किया था, इसी कारण उनका तबादला किया गया।

वहीं, डीन एस.पी. लाल कहना है —

👉 हमें आगरा से नियुक्ति आदेश मिला है, लगाए गए सारे आरोप निराधार और भ्रामक है।

 

माहौल बना तनावपूर्ण, पर शांतिपूर्ण रहा अंत 

इस पूरी घटना में विजय, आशीष, जोज़फ सिंह, रूपाली सहित  लोगों ने विरोध में हिस्सा लिया।

पुलिस की मौजूदगी और चर्च नेतृत्व की सूझबूझ से स्थिति नियंत्रण में रहीं।

बड़ा सवाल…

चर्च की गरिमा के नाम पर कौन खेल रहा है सियासत ?

इस घटना ने उत्तर भारत के ईसाई समुदाय के भीतर पनप रहे आंतरिक संघर्ष और ज़मीन विवादों को एक बार फिर सतह पर ला दिया है।

अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या आगरा डायोसिस इस विवाद पर पूर्णविचार करेंगा या फिर मामला कोर्ट और जन विरोध की ओर बढ़ेगा ?

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