दिल्ली में अवैध रूप से रह रहें बांग्लादेशी परिवार को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा
बांग्लादेश में अभी ग्रुप से भारत में दाखिल हुए। डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि शहीदुल और उसका परिवार बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ था। वह बस से अपने गांव से बलाहाट पहुंचे। जहां से खेतों के रास्ते भारत बांग्लादेश सीमा को पार किया। इसके बाद उन्होंने एक ऑटो से दिनहाटा रेलवे स्टेशन तक यात्रा की।
दिल्ली में अवैध रूप से रह रहें बांग्लादेशी परिवार को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कार्यवाही करते हुए दिल्ली एनसीआर में पिछले पांच वर्षों से अवैध रूप से रह रहें बांग्लादेशी परिवार को पकड़ लिया है।
यह परिवार दिल्ली के बवाना क्षेत्र की झुग्गियों में रह रहा था।
क्राइम ब्रांच बताया है कि डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि पकड़े गए लोगों में शाहिदुल हुसैन (45 वर्ष), उसकी पत्नी पारुल बेगम (35 वर्ष) और उनके चार नाबालिक बच्चे शामिल है।
यह सभी मूल रूप से बांग्लादेश के कुरिग्राम जिले के रहने वाले हैं।
बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में दाखिल
डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में सामने आया है कि शाहिदुल हुसैन और उसका परिवार बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुआ था। वह बस से अपने गांव से बलाहाट पहुंचे।
जहां से खेतों के रास्ते भारत बांग्लादेश सीमा को पार किया। इसके बाद उन्होंने एक ऑटो से दिनहाटा रेलवे स्टेशन तक यात्रा की।
यह भी पढ़ें – तिलक समारोह में दूल्हे की हर्ष फायरिंग से ग्रामीण की मौत, तमंचा लोड करते समय चली गोली, शव को अस्पताल में छोड़कर भागा युवक
फिर ब्रह्मपुत्र मेल से दिल्ली पहुंचे।
डीसीपी ने बताया कि क्राइम ब्रांच को इस संबंध में कांस्टेबल प्रतीक से खुफिया सूचनाएं मिली थी।
इसके बाद एसीपी नरेश सोलंकी की निगरानी में एक टीम गठित की गई। जिसमें इंस्पेक्टर सतीश मलिक, इंस्पेक्टर विनय कुमार, और अन्य अधिकारी शामिल थे।
बवाना की झुग्गियों में निगरानी रखने के बाद टीम ने छापा मारकर सभी को हिरासत में ले लिया।
गिरफ़्तारी के वक्त परिवार में शुरुआत में खुद को भारतीय बताया। लेकिन कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सकें। सघन पूछताछ में उन्होंने अपनी असल पहचान बांग्लादेशी नागरिकता को स्वीकार किया।
उनके पास से बांग्लादेश के पहचान-पत्र भी बरामद किए गए हैं।
शाहिदुल ने बताया कि एक गांव वाले काविनाथ ने उसे भारत में बेहतर रोजगार मिलने का झांसा दिया था। दिल्ली आने के बाद शाहिदुल हुसैन ने ईट भट्ठों में दिहाड़ी मजदूरी करना शुरू किया। एक सप्ताह में लगभग ₹5000 कमा लेता था
फिलहाल सभी के ख़िलाफ़ विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा रही है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने की तैयारी की जा रही है।
यह भी पढ़ें – भय बिनु होय ना प्रीति, एयर मार्शल ने क्यों पढ़ी तुलसीदास की चौपाई