डिलीवरी बॉय से सिविल जज बने यासीन शान मोहम्मद, केरल न्यायिक सेवा परीक्षा में हासिल किया दूसरा स्थान।
कई बार उन्होंने निर्माण स्थलों पर मजदूरी भी की है। लेकिन किसी भी परिस्थिति में अपनी शिक्षा को पीछे नहीं छोड़ा। यासीन अपनी स्कूल के दोनों को याद करते हुए कहा है कि "मैं उसे समय एक औसत से भी नीचे का छात्र था, क्योंकि मेरे पास पढ़ाई के लिए समय नहीं था और कोई मार्गदर्शन करने वाला भी नहीं था।" लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार केरल।
यासीन का बचपन गरीब और कठिनाइयों से भरा था। उनकी मां ने छठी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और 14 साल की उम्र में उनकी शादी हुई थी।
आर्थिक तंगी के कारण, यासीन कम उम्र से ही अख़बार और दूध पहुंचाने का काम शुरू कर दिया था, ताकि अपनी पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की मदद भी कर सकें।
कई बार में निर्माण स्थलों पर भी मजदूरी की है। लेकिन किसी भी परिस्थिति में अपनी शिक्षा को कभी पीछे नहीं छोड़ा।
यासीन ने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा है कि “मैं उसे समय एक औसत से भी नीचे का छात्र था, क्योंकि मेरे पास पढ़ाई के लिए समय नहीं था।” कोई मार्गदर्शन करने वाला भी नहीं था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए कड़ी मेहनत की।
यासीन साबित किया है कि कठिनाइयां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हों, अगर व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार है और मेहनत करता है, तो सफलता अवश्य मिलती है।
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