देश के प्रमुख राजनीतिक दलों की तरह संसद परिसर में किसानों को भी प्रदर्शन की अनुमति दी।
नरेश चौधरी ने कहा है कि सांसदों और विधायकों को किसानों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं और शक्ति का आभास कराने के लिए चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को किसान शक्ति के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा है कि हमारे संप्रभु अधिकारों के अंतर्गत सांसदों, विधायकों को उनके जवाब दे ही एवं कर्तव्यों का बोध कराना आवश्यक है। कहा है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने वाले वर्ष 2014 में बनी केंद्र सरकार से उम्मीद जगी थी कि वह डीजल, खाद, बिजली, सिंचाई समेत खेती लागत में वृद्धि के साथ कमर तोड़ महंगाई एवं बेरोज़गारी ने ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार गजरौला, अमरोहा (उत्तर प्रदेश )।
संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा है कि चौधरी चरण सिंह किसानों के प्रवक्ता थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजनीतिक दलों की गैर जरूरी प्रदर्शन और शोरगुल में किसानों के मुद्दे गौण हो गए। कोई भी राजनीतिक दल ग्रामीण भारत की समस्याओं को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दिया। किसानों को अपनी मांगों को लेकर सांसद परिषद में धरना प्रदर्शन की अनुमति दी जनी चाहिए। किसान कामगारों के समर्थक, सादा जीवन उच्च विचार को जीवन भर पर्यंत निभाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस के मौके पर भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा द्वारा गांव और किसने की खुशहाली के लिए इंदिरा चौक गजरौला हवन यज्ञ आदि करके “किसान शक्ति” के रूप में मनाते हुए संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा है कि अपनी धरोहर संस्कृति और सामुदायिक संपदा की प्राण प्रण से रक्षा करेंगे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहें।
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संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा है कि गांव और किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दम भरने वाले सांसद, विधायक सभी अपनी-अपनी पार्टी के लीडर हैं। परंतु चौधरी चरण सिंह की तरह गांव और किस के लीडर नहीं है। उन्होंने किसान जागरण के लिए 13 अक्टूबर 1979 को “असली भारत” साप्ताहिक अख़बार शुरू किया था। उनसे मिलने जब गांव से लोग आते थे वह उनसे कहते थे कि किराए पर इतना पैसा और खर्च करने के बजाय यही बात एक पोस्टकार्ड पर लिख भेजते तो तुम्हारा काम हो जाता। इस तरह राजनेताओं को उनसे प्रेरणा लेकर काम करना चाहिए।
नरेश चौधरी ने कहा है कि सांसदों और विधायकों को किसानों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं और शक्ति का आभास कराने के लिए चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को “किसान शक्ति” के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा है कि हमारे संप्रभु अधिकारों के अंतर्गत सांसदों, विधायकों को उनके जवाबदेही एवं कर्तव्यों का बोध कराना आवश्यक है।
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने वाले वर्ष 2014 में बनी केंद्र सरकार से उम्मीद जगी थी कि वह चौधरी चरण सिंह की नीतियों को लागू करने के साथ किसान हित में भी काम करेगी। परंतु पेट्रोल, डीजल, खाद, बिजली, सिंचाई समेत खेती लागत में वृद्धि के साथ कमर तोड़ महंगाई व बेरोज़गारी ने ग्रामीणों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मौजूदा हालात ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया। नरेश चौधरी ने आगे का है कि प्रदेश में युवा मतदाताओं की कुल संख्या क़रीब 7.71 करोड़ है। कुल मतदाताओं में से इनकी संख्या लगभग 50 फिसदी के आस-पास है। लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार पिछले चुनावों में किए अपने वादों से मुकर गई है। किसानों को उनका वाजिब हक देने में आनाकानी की जा रही है।
सरकार की फ्लैगशिप योजनाएं विफल साबित हो रही है। सीमांत जोत पर आधारित परिवार की आमदनी राज्य सरकार के बाबू के मासिक वेतन से कम है। लघु एवं सीमांत कृषक ग्रामीण संसाधन का लगभग 85 फ़ीसदी हिस्सा है। उन्होंने कहा है कि सामान्य किसान के ऋण के बोझ से दबा रहता है। देश के 35000 करोड़ के उन्नत बीच के व्यवसाय में उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी शून्य है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुवाई के समय डीएपी नहीं और सिंचाई के समय यूरिया नहीं। खाद के लिए काले बाज़ार में खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। किसने की आर्थिक संगीता समुचित भंडारण व्यवस्था के अभाव में फसल कम दामों में बेचने की व्यवस्था जाग ज़ाहिर है।
उन्होंने कहा है कि इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे छोटे देशों से लाखों मैट्रिक टन खाद तेलों का आयात किया जाता है। अरबों डॉलर विदेश से खपाने की बजाय बुंदेलखंड एवं ब्रज क्षेत्र के किसानों के लिए योजना बनाकर कार्यक्रम लागू किया जाए तो प्रदेश का किसान संपन्न होगा। दूसरी ओर देश खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर हो जाएंगा।
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कृषि प्रधान देश को अभी भी आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। किसानों की हालत बत- से- बत्तर होती जा रही हैं। उन्होंने कहा है कि मौजूदा पेराई सत्र में गन्ना मूल्य घोषित नहीं कर किसानों के साथ छल किया गया है। जबकि गन्ना उत्पादन लागत अप्रत्याशित रूप से बड़ी है। श्री नरेश चौधरी ने कहा है की खेती स्तरों पर बजट के प्रावधानों में उलझ कर रह जाते हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली नोएडा डायरेक्ट मार्ग पर की जा रही वसूली पर सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप के आधर पर सार्वजनिक इंफस्ट्रक्चर बनाने के लिए किस तरह राजनेता, ठेकेदार, अधिकारी और प्राइवेट कंपनियों ने टोल टैक्स तय करने तथा वसूली में लूट मचा रही है। और सड़कों का अनुचित बोझ आम सड़क यूजर्स को उठाना पड़ रहा हैं।
आज चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन है, उनकी स्मृतियों को नमन! इस अवसर पर संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय मुख्य सचिव अरुण सिद्धू, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजय वीर सिंह, राष्ट्रीय सचिव चंद्रपाल सिंह, युवा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह, मंडल अध्यक्ष मयंक धारीवाल, युवा प्रदेशाध्यक्ष रवि चौधरी, प्रसिद्ध समाज सेवी राजकुमार अग्रवाल, अतुल चौधरी, अंकित देओल, प्रिंस चौधरी, मोनिश, तरुण त्यागी, हाजी अब्दुल सलाम, कामिल चौधरी, अमित चीमा, इकबाल चौधरी, प्रिंस चौधरी, संजीव चौधरी, विकास चौधरी, महावीर सिंह, नितिन गोस्वामी, देशवीर सिंह, तस्लीम चौधरी आदि किसान उपस्थित रहें।