दोहरे हत्याकांड के 23 साल बाद आरोपी गिरफ़्तार, वारदात के बाद बदल लिया था नाम

अधिकारियों के मुताबिक, दोहरे हत्याकांड के बाद कंसागरा अपने परिवार को सूरत में छोड़कर अलग-अलग जगहों पर रहने लगा था। क्राइम ब्रांच ने बताया कि उसने अपना नाम बदलकर मुन्ना भाई पटेल रख लिया था। वह जनरेटर ऑपरेटर का काम करता था। हाल ही में अपने परिवार के पास सूरत में रहने चला गया था।

दोहरे हत्याकांड के 23 साल बाद आरोपी गिरफ़्तार , वारदात के बाद बदल लिया था नाम

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : अहमदाबाद , गुजरात। 

गुजरात पुलिस ने 23 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड के एक आरोपी को भरूच जिले से गिरफ़्तार किया गया। पुलिस ने रविवार को बताया कि 53 वर्षीय निरुपम कंसागरा 23 साल से फरार था।उ

उस पर 2002 में गांधी नगर जिले के पेथापुर में सलीम और देवसी नाम के लोगों की हत्या का आरोप था। इस हत्याकांड में एक नाबालिक समेत चार अन्य आरोपी भी शामिल थे।

हत्याकांड के बाद अन्य आरोपियों को पकड़ लिया गया था, और उन पर मुक़दमा चलाया गया, लेकिन कंसागरा गिरफ़्तारी से बचता रहा।

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अहमदाबाद शहर अपराध शाखा ने एक बयान में कहा कि तकनीकी निगरानी और मानव स्रोतों की मदद से कंसागरा को भरूच जिले के दहेज से गिरफ़्तार किया गया।

अधिकारियों के मुताबिक, दोहरे हत्याकांड के बाद कंसागरा अपने परिवार को सूरत में छोड़कर अलग-अलग जगहों पर रहने लगा था।

क्राइम ब्रांच ने बताया कि उसने अपना नाम बदलकर मुन्ना भाई पटेल रख लिया था और जनरेटर ऑपरेटर का काम करता था।

हाल ही में अपने परिवार के पास सूरत में रहने चला गया था। निरुपम कंसागरा को जून 2002 में पेथापुर पुलिस स्टेशन में दर्ज़ दोहरे हत्याकांड के मामले में एक नाबालिक सहित पांच आरोपियों में से एक के रूप में नामित किया गया था।

केस के दस्तावेजों के अनुसार, 6 जून 2002 की रात को गांधीनगर के रायसेन गांव के पास करीबी दोस्तों सलीम और देवसी की हत्या कर दी गई थी।

एफआईआर के अनुसार, उनके शवों को एक कार में डालकर वावोल ले जाया गया, जहां आरोपियों ने पेट्रोल डालकर गाड़ी में आग लगा दी थी।

बाद में दोनों दोस्तों के जले हुए शव कार की पिछली सीट पर मिले थे।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तीन आरोपियों को अपराध के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और सत्र न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई, जबकि कंसागरा फरार था।

नाबालिक आरोपी के मामले में किशोर न्यायालय ने सुनवाई की।

आरोपियों ने आजीवन कारावास की सजा के फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

अपराध शाखा ने बयान में कहा कि उनमें से दो की अपील लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई, जबकि तीसरे व्यक्ति – कृष्णकांत पटेल को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था।

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