फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने वाले शिक्षक की नियुक्ति रद्द, राज्य सरकार के विशेष अपील पर हाई कोर्ट का फैसला

राज्य सरकार ने अपील दायर कर कहा है कि चिदानंद ने हाई स्कूल, इंटरमीडिएट और बीएड फर्जी डिग्रियों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। पूर्व में अकाल पेट में राज्य सरकार को आदेश दिया था कि चिदानंद को सेवा में बनाए रखते हुए वेतन भी दिया जाएं। इस आदेश को राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के खंडपीठ में चुनौती देते हुए विशेष अपील दाखिल की।

फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाने वाले शिक्षक की नियुक्त रद्द , राज्य सरकार की विशेष अपील पर हाई कोर्ट का फैसला 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : प्रयागराज , उत्तर प्रदेश।

फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर नियुक्त अध्यापक की सेवा से बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सही करार दिया है।

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें अध्यापक को सेवा में बनाए रखने का आदेश दिया गया था।

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सरकारी मॉडल इंटर कॉलेज में कार्यरत सहायक अध्यापक चिदानंद के मामले में न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने सरकार की विशेष अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है।

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राज्य सरकार में अपील दायर कर कहा है कि चिदानंद ने हाई स्कूल, इंटरमीडिएट और बीएड की फर्जी डिग्रियों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। पूर्व में एकलपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि चिदानंद को सेवा बनाए रखते हुए विशेष अपील दाखिल की।

कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान और डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने हलफनामे दाखिल कर स्पष्ट किया है कि चिदानंद के प्रस्तुत प्रमाण पत्र फर्जी है।

विद्यालय शिक्षा संस्थान ने बताया है कि हाई स्कूल और इंटर की डिग्रियां उसके द्वारा जारी नहीं की गई है। वह 2009 – 2010 सत्र का है।

जिसे विश्वविद्यालय ने शून्य वर्ष घोषित किया था, अतः वह प्रमाण पत्र वैध नहीं है।

कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामले में जहां नियुक्ति धोखाधड़ी से प्राप्त की गई हो, वहां न्यायलय का कोई विवेकाधीन अधिकार नहीं चलता है।

कोर्ट ने कहा है कि “धोखा और न्याय साथ नहीं चल सकते” इसलिए एकलपीठ द्वारा दिए गए आदेश को खारिज करते हुए विशेष अपील स्वीकार की गई और चिदानंद की नियुक्ति रद्द की गई, साथ ही वेतन भुगतान का भी आदेश निरस्त कर दिया गया।

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