बहराइच में कतर्नियाघाट सेंक्चुरी क्षेत्र से हटाईं गईं चार मजारें, प्रशासनिक निगरानी में चली कार्रवाई

वन विभाग ने बुलडोजर चलाकर हटाया अतिक्रमण, पहले जारी किया गया था नोटिस

  • बहराइच में कतर्नियाघाट सेंक्चुरी क्षेत्र से हटाईं गईं चार मजारें, प्रशासनिक निगरानी में चली कार्रवाई
  • वन विभाग ने बुलडोजर चलाकर हटाया अतिक्रमण, पहले जारी किया गया था नोटिस

बहराइच। कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के संरक्षित क्षेत्र में स्थित चार मजारों को सोमवार की देर शाम प्रशासनिक निगरानी में हटाया गया। यह कार्रवाई मूर्तिहा रेंज के बीट संख्या 20 में की गई, जहां चार अलग-अलग मजारें – लक्कड़ शाह, चमन शाह, भंवर शाह और शहंशाह वन भूमि पर बनी हुई थीं। अतिक्रमण की श्रेणी में दर्ज इन स्थलों को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया।

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Four tombs were removed from Katarniaghat Century area in Bahraich, action under administrative supervisio

कार्रवाई से पहले सभी संबंधित पक्षों को पूर्व सूचना और नोटिस जारी किए गए थे। यह जानकारी कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) बी. शिव शंकर ने दी। उन्होंने बताया कि ये सभी स्थल संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से बने थे, जहां मानव गतिविधियों पर रोक है क्योंकि यह इलाका जंगली जीवों के सुरक्षित विचरण का क्षेत्र है।

कड़ी सुरक्षा के बीच अतिक्रमण हटाया गया

Four tombs were removed from Katarniaghat Century area in Bahraich, action under administrative supervisio
फोटो : DFO बी. शिव शंकर

DFO ने बताया कि ध्वस्तीकरण कार्य के दौरान पुलिस बल व पीएसी के जवानों की भारी तैनाती की गई थी ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था या जन प्रतिक्रिया को रोका जा सके। वन विभाग की टीम ने शांतिपूर्ण और योजनाबद्ध तरीके से चारों मजारों को खाली करवा कर ध्वस्त कर दिया।

प्रभारी अधिकारी ने बताया कि इन मजारों से जुड़ी कमेटियों को पहले ही नोटिस देकर कानूनी प्रक्रिया की जानकारी दी गई थी। बावजूद इसके कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया, जिस कारण इन्हें अवैध कब्जा मानते हुए हटाने का निर्णय लिया गया।

मेले पर भी रोक, जायरीनों को नहीं मिली अनुमति

Four tombs were removed from Katarniaghat Century area in Bahraich, action under administrative supervisio
फोटो : फाइल फोटो (लक्कड़ शाह बाबा मजार)

वन विभाग की ओर से इस क्षेत्र में जेठ माह के दौरान लगने वाले पारंपरिक मेले पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को इस बार प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिससे कई लोग निराश भी नजर आए।

प्रभागीय वनाधिकारी बी. शिव शंकर के अनुसार, इस मामले में उच्च न्यायालय में दायर वाद का निपटारा हो चुका है और अभिलेख प्रस्तुत न किए जाने के कारण स्थल को अतिक्रमण घोषित किया गया, जिसके बाद कानून सम्मत रूप से कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

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