भूषण स्टील की बिक्री प्रक्रिया पर फिलहाल स्टे, JSW की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने 2 मई को बीएसपीएल के लिए जेएसडब्ल्यू एस्टीमेट द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को खारिज कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि समाधान योजना अवैध है और दीवाला एवं दिवालीयापन संहिता का भी उल्लंघन करती है।
भूषण स्टील की बिक्री प्रक्रिया पर फिलहाल स्टे , JSW की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड के मामले में कंपनी कानून ट्राइब्यूनल में चल रही संपत्ति बेचने की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगी रहें।
यह न्याय के लिए बेहतर होंगा। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्याय मूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने JSW स्टील कंपनी की याचिका पर फैसला दिया।
पीठ ने इस तथ्य पर विचार किया कि शीर्ष अदालत के फैसले के ख़िलाफ़ समीक्षा दायर करने के लिए JSW की समय सीमा अभी खत्म नहीं हुई है।
पीठ ने कहा कि BPSL के परी समापन से समीक्षा याचिका ख़तरे में पड़ सकती है, जो JSW स्टील लिमिटेड द्वारा दायर की जानी थी।
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पीठ ने कहा कि इस स्तर पर कोई राय व्यक्त किए बिना, हमारा मानना है कि यह न्याय के हित में होंगा। यदि एनसीएलटी में लंबित कार्यवाही पर यथा स्थिति बनाएं रखी जाएं।
सर्वोच्च न्यायलय ने JSW स्टील लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर निर्देश पारित किया। जिसमें एनसीएलटी के समक्ष लंबित परिसमापन कार्यवाही में तेजी लाने के लिए प्रमोटर द्वारा डायर किसी भी आगे की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
JSW स्टील लिमिटेड के अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने दलील दी कि शीर्ष अदालत के 2 मई के फैसले के खिलाफ समक्ष दाख़िल करने का समय समाप्त होने से पहले ही JSW के पास समीक्षा दखिल करने के लिए 2 जून तक का समय है।
सर्वोच्च न्यायलय ने 2 में को बीएसपीएल के लिए JSW स्टील लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को खारिज कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि समाधान योजना अवैध है और दीवाल एवं दिवालीयापन संहिता का भी उल्लंघन करती है।
2 मई को सर्वोच्च न्यायालय में समाधान प्रक्रिया में सभी प्रमुख हितधारकों – समाधान पेशेवर, ऋणदाताओं की समिति और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के आचरण की आलोचना करते हुए आईबीसी का घोर उल्लंघन किया था।
सर्वोच्च न्यायलय ने 105 पृष्ठों के फैसले में कहा था, धारा 33 के उपधारा 01 में निहित प्रावधानों के मद्देनजर और भारत के संविधान अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त अधिकार क्षेत्र के तहत,
न्यायाधिकरण यानी एनसीएलटी को आईबीसी के अध्याय- 3 के तहत और कानून के अनुसार, कॉरपोरेट देनदार बीपीएसएल के ख़िलाफ़ परिसमापन कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया जाता है।
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