संभल की शाही जामा मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
19 नवंबर के सिविल कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती, अब हाईकोर्ट से फैसले का इंतजार
- संभल की शाही जामा मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
- 19 नवंबर के सिविल कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती, अब हाईकोर्ट से फैसले का इंतजार
विजय कुमार पटेल : प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद से जुड़ा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। मस्जिद प्रबंधन समिति द्वारा दाखिल सिविल रिवीजन याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गंभीरता से सभी बिंदुओं पर विचार किया। अब पूरे प्रदेश की निगाहें हाईकोर्ट के आने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?

संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद को लेकर 19 नवंबर 2023 को सिविल कोर्ट ने एक अहम आदेश पारित किया था, जिसे मस्जिद प्रबंधन समिति ने चुनौती दी थी। समिति की ओर से कहा गया कि सिविल कोर्ट का आदेश उनकी धार्मिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है, और यह असंवैधानिक है।
हाईकोर्ट में याचिका पर क्या हुआ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल सिविल रिवीजन याचिका की सुनवाई अब पूरी हो चुकी है। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से विस्तृत बहस हुई, जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से मस्जिद की ऐतिहासिकता, धार्मिक महत्व और अधिकारों का हवाला दिया गया। वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने कोर्ट के पूर्व आदेश को सही ठहराया।
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों और दलीलों को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद अभी तत्काल कोई फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन स्पष्ट कर दिया है कि निर्णय जल्द ही सुनाया जाएगा। कोर्ट के इस फैसले से यह तय होगा कि सिविल कोर्ट का आदेश कायम रहेगा या रद्द किया जाएगा।
लोगों की बढ़ती चिंता और उम्मीदें

संभल के स्थानीय लोग और धार्मिक संगठनों की नजरें इस फैसले पर टिकी हुई हैं। मस्जिद से जुड़े लोगों का मानना है कि हाईकोर्ट का फैसला धार्मिक सद्भाव और न्याय की भावना को मजबूत करेगा।
गौरतलब हो कि संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़ा यह मामला अब न्यायिक अंतिम पड़ाव पर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला न सिर्फ इस मस्जिद के भविष्य पर असर डालेगा, बल्कि इससे धार्मिक मामलों में अदालत के रुख का भी संकेत मिलेगा। अब यह देखना अहम होगा कि कोर्ट किस पक्ष में निर्णय देता है।