कैसरगंज में प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा अवैध मिट्टी खनन, अफसर मौन

हाजीपुर, गंडारा, हसना जैसे गांवों में मशीनों से रातभर खुदाई, शिकायतों के बाद भी नहीं पहुंचा प्रशासन

  • कैसरगंज में प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा अवैध मिट्टी खनन, अफसर मौन
  • हाजीपुर, गंडारा, हसना जैसे गांवों में मशीनों से रातभर खुदाई, शिकायतों के बाद भी नहीं पहुंचा प्रशासन

रिपोर्ट : अशोक सोनी : कैसरगंज : बहराइच। तहसील कैसरगंज में इन दिनों रात होते ही अवैध मिट्टी खनन का गोरखधंधा शुरू हो जाता है। हाजीपुर, तेलया वदूद, गंडारा, हसना और सोनारी चौराहा जैसे इलाकों में ट्रैक्टर-ट्रालियों की कतारें लग जाती हैं और मशीनों से खेतों की मिट्टी बेधड़क खोदी जा रही है। यह सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

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Illegal soil mining running under the administration's nose in Kaiserganj, officer silent

स्थानीय ग्रामीणों और क्षेत्र के कुछ पत्रकारों ने इस पूरे मामले की जानकारी एसडीएम कैसरगंज अखिलेश कुमार सिंह और जिला खनन अधिकारी बहराइच को दी। बताया गया कि कुछ पत्रकारों ने तो लोकेशन और फोटो तक साझा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार कॉल करने पर अधिकारियों ने फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझा।

ऑडियो रिकॉर्डिंग और वीडियोज जैसे पुख्ता साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रशासन को खनन की पूर्व सूचना थी, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे साफ होता है कि या तो अधिकारी जानबूझकर मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं या फिर कहीं न कहीं मिलीभगत की बू है।

जागरूक ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की अवैध खुदाई से कृषि योग्य जमीन बंजर होती जा रही है। यदि यही हालात रहे तो आने वाली पीढ़ियों को जमीन के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “जीरो टॉलरेंस नीति” का क्या यही पालन हो रहा है?

Illegal soil mining running under the administration's nose in Kaiserganj, officer silentअब सवाल उठता है कि जब इलाके में सबको यह सब दिख रहा है तो प्रशासन क्यों आंख मूंदे बैठा है? क्या खनन माफियाओं और अफसरों की मिलीभगत की जांच होगी? क्या एसडीएम और खनन अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?

ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय से तत्काल हस्तक्षेप और ठोस कार्रवाई की मांग की है, ताकि क्षेत्र की भूमि और पर्यावरण दोनों की रक्षा हो सके।

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