जरवल रोड के डॉ. सुधीर शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय शोध में खुलासा: क्यों अब भी स्वास्थ्य बीमा से दूर है आम भारतीय?

OTT सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं, मगर हेल्थ इंश्योरेंस नहीं – शोध ने खोली जमीनी हकीकत; महिलाओं में और भी कम पहुंच

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  • OTT सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं, मगर हेल्थ इंश्योरेंस नहीं – शोध ने खोली जमीनी हकीकत; महिलाओं में और भी कम पहुंच

रिपोर्ट : अशोक कुमार सोनी : कैसरगंज : बहराइच। भारत में डिजिटल युग ने जहां मनोरंजन और तकनीकी जागरूकता को बढ़ाया है, वहीं स्वास्थ्य बीमा जैसे महत्वपूर्ण विषय अब भी आम जनता की पहुंच से दूर हैं। जरवल रोड निवासी और केजीएमयू, लखनऊ से जुड़े हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. सुधीर शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय शोध में यह गंभीर खुलासा हुआ है।

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International research by Dr. Sudhir Shukla of Jarwal Road revealed: Why is the common Indian still away from health insurance?
फोटो : डा. सुधीर शुक्ला

यह अध्ययन दक्षिण-पूर्व एशिया के छह देशों में हुए डेमोग्राफिक एंड हेल्थ सर्वे (DHS) के आंकड़ों पर आधारित है और इसे हेल्थ सिस्टम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (HSTP) और केजीएमयू के सहयोग से अंजाम दिया गया।

शोध में पाया गया कि भारत में केवल 29.8% महिलाएं और 33.3% पुरुष (15–49 वर्ष) ही किसी न किसी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा से कवर हैं। इसका सीधा अर्थ है कि देश की अधिकांश आबादी किसी गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती की स्थिति में आर्थिक संकट का सामना करती है।

डॉ. शुक्ला के अनुसार, भारत में बीमा कवरेज का अधिकांश भार सार्वजनिक योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और विभिन्न राज्य सरकारों की योजनाओं पर है। निजी बीमा कंपनियों की पहुंच सीमित है।

प्रमुख आंकड़े

  • SSHIs (सामाजिक सुरक्षा योजनाएं): केवल 21.4% महिलाएं और 23.5% पुरुष कवर
  • प्राइवेट इंश्योरेंस: महज 8.8% महिलाएं और 10.4% पुरुष ही शामिल

डॉ. शुक्ला ने चेताया कि “अगर महिलाओं को बीमा कवरेज नहीं मिलेगा तो पूरा परिवार आर्थिक जोखिम में रहेगा। यह लैंगिक असमानता भारत के स्वास्थ्य तंत्र की एक बड़ी कमजोरी है।”

इस शोध को नीति निर्धारकों के लिए एक चेतावनी और सटीक मार्गदर्शन माना जा रहा है। विशेषज्ञों की राय है कि अगर भारत को UHC (Universal Health Coverage) की दिशा में आगे बढ़ना है, तो उसे एक लैंगिक-संवेदनशील और समावेशी स्वास्थ्य बीमा प्रणाली विकसित करनी होगी।

कौन-कौन रहे शोध में शामिल?

यह अध्ययन हेल्थ सिस्टम्स ट्रांसफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (HSTP) नई दिल्ली और केजीएमयू, लखनऊ की साझेदारी में किया गया। टीम में प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. निशिकांत सिंह, डॉ. प्रतिभा जॉन, डॉ. सुधीर कुमार शुक्ला, डॉ. नवीन सिंह, श्री राजीव सदानंदन (पूर्व IAS व स्वास्थ्य सचिव) शामिल रहे।

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