जामिया हिंसा मामला, शरजील इमाम की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी
साकेत कोर्ट ने 7 मार्च को शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तान्हा समेत 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ हिंसा और आगजनी समेत दो से धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। शरजील इमाम ने इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। साकेत कोर्ट ने कहा था कि सर जी इमाम जामिया हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता है। कोर्ट ने कहा कि सर जी इमाम ने न केवल हिंसा को उकसाया बल्कि उसने बड़ी साजिश रचने में किंगपिन की भूमिका निभाई।
जामिया हिंसा मामला, शरजील इमाम की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली :
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम के ख़िलाफ़ हिंसा और आगजनी समेत दूसरी धाराओं के तहत ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोप तय करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
दरअसल, साकेत कोर्ट ने 7 मार्च को शरजील इमाम और आसिफ इक़बाल तान्हा समेत 11 आरोपियों के ख़िलाफ़ हिंसा और आगजनी समेत दूसरी धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। शरजील इमाम ने इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। साकेत कोर्ट ने कहा था कि शरजील इमाम जामिया हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता हैं।
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कोर्ट ने कहा कि शरजील इमाम ने न केवल हिंसा को उकसाया, बल्कि उसने बड़ी साजिश रचने में किंगपिन की भूमिका निभाई। साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तान्हा के अलावा,
जिन आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने का आदेश दिया, उनमें आशु खान, चंदन कुमार, अनल हुसैन, अनवर, यूनुस, जुम्मन, राणा, मोहम्मद हारून, और मोहम्मद फुरकान शामिल है।
आपको बता दें कि शरजील इमाम को 25 अगस्त 2020 को बिहार से गिरफ़्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत दाखिल चार्ट शीट में कहा है कि शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन को अखिल भारतीय स्तर पर ले जाने के लिए बेताब था और ऐसा करने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा था।
शरजील इमाम के ख़िलाफ़ दाखिल चार्ट शीट में कहा गया है कि शरजील इमाम ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ घृणा फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए भाषण दिया जिसकी वजह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में गहरी साजिश रची गई थी। इस कानून के ख़िलाफ़ मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार किया गया। यह प्रचार किया गया है कि मुसलमानों की नागरिकता चली जाएंगी और उन्हें डिटेंशन कैंप में रखा जाएंगा।
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