कर्नाटक हाई कोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को मिली रिलीफ़, POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में अंतरिम राहत।

सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष में तर्क दिया है की नाबालिक पीड़िता से जुड़ी कथित घटना के 12 दिन बाद शिकायत दर्ज की गई थी। बचाव पक्ष में यह भी तर्क दिया है कि पीड़िता और शिकायत कर्ता के बयान असंगत थे। इसके अलावा पिछली पीठ ने पहले ही इस मामले में ट्रायल कोर्ट के कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। बचाव पक्ष ने बताया है कि संज्ञान प्रक्रिया में प्रक्रियागत खामियां थी। जिससे याचिका का निपटारा होने तक रोक लगाना आवश्यक हो गया।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ) TV 9 भारत समाचार बेंगलुरु (कर्नाटक )।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को POCSO मामले में राहत मिली है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने उन्हें अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देती है। नाबालिक के साथ कथित यौन दुराचार के लिए येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (CID) द्वारा की जा रही थी।

उच्च न्यायालय ने क्या कहा?……..

उच्च न्यायालय ने सीआईडी के दायर आरोप पत्र के संज्ञान पर रोक लगा दी है। जिससे इस स्तर पर कानूनी कार्यवाही प्रभावी रूप से रुक गई है। न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरुर की अगुवाई वाली पीठ ने बीएस येदियुरप्पा, वाईएम अरुण, रूद्रेश मारलुसिद्दैया और जी. मारिस्वामी द्वारा दायर अलग-अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

येदियुरप्पा और अन्य के ख़िलाफ़

पोक्सो मामला स्थगित……..

आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान और उनके ख़िलाफ़ जारी समन को रद्द करने की मांग की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया कि विशेष ट्रायल कोर्ट में लंबित बीएस येदियुरप्पा और अन्य के ख़िलाफ़ पोक्सो मामला स्थगित रहेगा। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं को आगे की कार्यवाही तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दी गई है।

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सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष ने तर्क दिया है कि नाबालिक पीड़िता से जुड़ी कथित घटना के 12 दिन बाद शिकायत दर्ज़ की गई थी। बचाव पक्ष में यह भी तर्क दिया है कि पीड़िता और शिकायतकर्ता के बयान असंगत थे।

इसके अलावा, पिछली पेट ने पहले ही इस मामले में ट्रायल कोर्ट के कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। बचाव पक्षी ने बताया कि संज्ञान प्रक्रिया में प्रक्रियागत खामियां थी और विशेष अदालत ने बीएस येदियुरप्पा को अगले दिन पेश होने लिए के लिए समझ जारी किया था, जिससे याचिका का निपटारा होने तक रोक लगाना आवश्यक हो गया।

राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए, महाधिवक्ता की शशिकिरण शेट्टी ने तर्क दिया है कि पिछली सुनवाई में कोई स्थाई रोक नहीं दी गई थी। केवल एक अंतरिम राहत दी गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह ऐसा मामला नहीं था जहां अंतरिम रोक जारी की जानी चाहिए। अभियोजन पक्ष के पास आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत है। इन्होंने बताया यह भी बताया है कि एक अन्य पीठ ने हाल ही में एफआईआर और आरोप पत्र बिना हस्तक्षेप किए बिना ट्रायल कोर्ट को आरोपों का फिर से संज्ञान लेने की अनुमति दी थी।

उच्च न्यायालय के इस नवीनतम फैसले के साथ, बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही फिलहाल रुकी हुई है। जिससे पूर्व मुख्यमंत्री को अदालत में पेश होने से अस्थायी राहत मिल गई है।

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