कर्नाटक हनी ट्रैप मामले में CBI जांच नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ख़ारिज की

याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा में बहुत गंभीर परेशान करने वाले आरोप लगाए गए हैं कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने का इच्छुक एक व्यक्ति कई लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने में सफल रहा है। जिसमें न्यायाधीश भी शामिल है। याचिका में कहा गया था कि कई मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया के कारण पहले ही बहुत शोर शराबा हो चुका है। इस पृष्ठभूमि में, यह जरूरी है कि यह गलत देश की नायक प्रणाली में प्रतिष्ठा और जनता के विश्वास को बचाने के लिए कदम उठाए।

कर्नाटक हनी ट्रैप मामले में CBI जांच नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका ख़ारिज की

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ :नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक सरकार के मंत्री और न्यायाधीशों सहित कई अन्य लोगों को कथित तौर पर हनी ट्रैप में फंसाने की घटना की सीबीआई जांच कराने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका ख़ारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्याय मोती संदीप मेहता की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार सिंह द्वारा याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है।

याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा में बहुत गंभीर और परेशान करने वाले आरोप लगाए गए हैं कि राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का इच्छुक एक व्यक्ति कई लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने में सफल रहा है। जिसमें न्यायाधीश भी शामिल है।

याचिका में कहा गया था कि कई मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया के कारण पहले ही बहुत शोर शराबा हो चुका है। इस पृष्ठभूमि में, यह जरूरी है कि यह अदालत देश की न्यायिक प्रणाली में प्रतिष्ठा और जनता के विश्वास को बचाने के लिए कदम उठाए।

यह भी पढ़ें –आतिशी को दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, कालकाजी सीट से निर्वाचन को चुनौती का मामला। 

याचिका में क्या कहा गया

आरोप एक मौजूदा मंत्री द्वारा लगाया गया है, जिन्होंने खुद को पीड़ित बताया। अगर किसी राज्य सरकार के मंत्री पर खुद हनी ट्रैप की साजिश रचने का आरोप है, तो उनके नियंत्रण वाली एजेंसी को जांच करने की अनुमति देना न्याय का मज़ाक होंगा। ऐसी जांच में विश्वसनीयता की कमी होंगी और सच्चाई को उजागर करने के बजाय अपराधियों को बचाने के लिए इसे आसानी से प्रभावित, दबाया या हेर-फेर किया जा सकता है।याचिका में कहा गया है कि हनी ट्रैप प्रकरण में किस स्तर के न्यायाधीशों ने समझौता किया है? यह सामने आना चाहिए!जो पूरी जांच से ही संभव है।

इसलिए, यह जरूरी है कि जांच निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की जाएं। इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति के ख़िलाफ़ आरोप लगाए गए हैं, जो कर्नाटक मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखता है। इसलिए स्पष्ट रूप से राज्य के तहत किसी भी जांच एजेंसी प्रभावित करने की बहुत अधिक ताकत और क्षमता रखता है।

क्या है मामला

आपको बता दें कि कर्नाटक के राज्य सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने विधानसभा में कहा था कि हाल ही में उन्हें हनी ट्रिपिंग के प्रयास का निशाना बनाया गया था। उन्होंने दावा किया था कि सभी दलों के 48 नेताओं को निशाना बनाया गया है। इसके बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। उनके प्रतिक्रिया तब आई जब भाजपा विधायक बसंतगौड़ा पाटिल यतनाल ने विधायकों की हनी ट्रिपिंग का मुद्दा उठाया और कहा कि ऐसी अफवाहें है कि कई कांग्रेसी मंत्री संगठित गिरोह द्वारा निशाना बनाएं जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें – राणा सांगा के अपमान पर कुंवर दहौरा का बड़ा बयान – “मैं मानव बम बनने को तैयार”… देखें Video