भारत-नेपाल मैत्री संबंधों को समर्पित कावड़ यात्रा: तीन हजार कावड़ियों का “मैत्री जल” से जुंगे महादेव को अभिषेक

नानपारा तहसील से नेपालगंज बागेश्वरी मंदिर तक की पवित्र कावड़ यात्रा, सीमांत क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव का संदेश

  • भारत-नेपाल मैत्री संबंधों को समर्पित कावड़ यात्रा: तीन हजार कावड़ियों का “मैत्री जल” से जुंगे महादेव को अभिषेक
  • नानपारा तहसील से नेपालगंज बागेश्वरी मंदिर तक की पवित्र कावड़ यात्रा, सीमांत क्षेत्र में धार्मिक सद्भाव का संदेश

रिपोर्ट: संतोष शुक्ला : रूपईडीहा : बहराइच। सीमांत तहसील नानपारा के कावड़ियों की एक विशेष टोली विगत दो दशकों से सरयू जल के माध्यम से भारत-नेपाल मैत्री संबंधों को मजबूती देने हेतु जुंगे महादेव को “मैत्री जल” अर्पित कर रही है। इस वर्ष भी लगभग तीन हजार युवा कांवड़ यात्री पवित्र सरयू जल लेकर नेपालगंज स्थित बागेश्वरी मंदिर में जलाभिषेक करेंगे।

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Kavad Yatra dedicated to Indo-Nepal Friendship relations: Abhishek to Mahadev with three thousand Kavadis "friendship water"

वर्ष 2006 से लगातार नव युवक कावड़िया संघ के तत्वावधान में यह “मैत्रीपूर्ण कावड़ यात्रा” आयोजित की जा रही है, जिसका नेतृत्व इस वर्ष तहसील अध्यक्ष कुंवर बद्रीनाथ प्रताप सिंह कर रहे हैं। नानपारा तहसील के शिवपुर तकिया घाट से सरयू नदी का पवित्र जल लेकर यह टोली 23 जुलाई बुधवार को नेपालगंज स्थित प्रसिद्ध बागेश्वरी मंदिर में जुंगे महादेव को जल चढ़ाने निकलेगी।

इस यात्रा की खास बात यह है कि यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारत-नेपाल के पारंपरिक धार्मिक-सांस्कृतिक रिश्तों को भी सशक्त करती है। बीते 25 वर्षों से सीमावर्ती गांवों के श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते आ रहे हैं।

तीन हजार कावड़ियों की इस टोली में सहयोगी के रूप में राजेश पटेल, रवि वर्मा, जगतराम पटेल सहित कई प्रमुख लोग जुटे हैं।

यात्रा मार्ग में रूपईडीहा स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर पर रामचंदर जयसवाल, अनूप अग्रवाल समेत गणमान्य नागरिकों द्वारा स्वागत एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है। यहाँ कावड़िए रात्री विश्राम करते हैं।

Kavad Yatra dedicated to Indo-Nepal Friendship relations: Abhishek to Mahadev with three thousand Kavadis "friendship water"गुरुवार सुबह 6:00 बजे, भारत-नेपाल सीमा खुलते ही यात्रा नेपालगंज प्रस्थान करती है, जहाँ बागेश्वरी मंदिर में जलाभिषेक कर कांवड़िए वापस अपने गंतव्य को रवाना हो जाते हैं। इस दौरान सुरक्षा, स्वच्छता और चिकित्सा व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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