केंद्रीय कैबिनेट ने 7 जिलों को कवर करने वाली दो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी

वैष्णव ने बताया है कि यह परियोजनाएं मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई है और लोगों वस्तुओं और स्वभाव की आवाजाही के लिए निर्वाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।

केंद्रीय कैबिनेट ने 7 जिलों को कवर करने वाली दो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्री मंडल समिति ने 6405 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली रेलवे की दो परियोजनाओं को बुधवार को मंजूरी दी 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णवी मीडिया को जानकारी देते हुए तो रेलवे परियोजनाओं कोडरमा – बरकाकाना दोहरीकरण (133 किलोमीटर) के बारे में बताया। वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना खंड झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरती है।

इसके अलावा, यह पटना और रांची के बीच सबसे छोटा और अधिक कुशल रेल संपर्क के रूप में कार्य करता है। बेल्लारी – चिकजापुर दोहरीकरण (185 किलोमीटर) परियोजना लाइन कर्नाटक के बेल्लारी और चित्रदुर्ग जिलों और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से होकर गुजरती है।

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उन्होंने कहा कि बड़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होंगी। जिसके परिणाम स्वरुप भारतीय रेलवे के लिए परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होंगा।

वैष्णव ने बताया कि यह परियोजना मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई है और लोगों वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के सात चलो को कवर करने वाले यह दोनों परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 318 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। स्वीकृत मल्टी ट्रैकिंग परियोजनाओं से लगभग 1408 गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ेंगी।

जिनकी आबादी लगभग 28.19 लाख है। यह कोयला, लौह अयस्क, तैयार इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आदेशक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 49 MTPA का माल यातायात होंगा।

उन्होंने कहा कि रेलवे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है। जिससे जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात को काम करने और CO2 उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

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