मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश, दुष्कर्म पीड़िता का बच्चा सरकार की जिम्मेदारी

मामले के अनुसार, दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की अनुमति के लिए माता-पिता की सहमति पत्र के साथ छिंदवाड़ा जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने हाई कोर्ट को पत्र भेजा था। पत्र की सुनवाई याचिका के रूप में करते हुए हाई कोर्ट ने पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया था।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश, दुष्कर्म पीड़िता का बच्चा सरकार की जिम्मेदारी 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : जबलपुर , मध्य प्रदेश।

दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था 30 सप्ताह से अधिक होने के बाद भी माता-पिता बेटी का गर्भपात करवाना चाहते हैं। इस मामले को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है

हाई कोर्ट ने गर्भपात के संबंध में अशिक्षित माता-पिता तथा पीड़िता की फिर से काउंसलिंग करने के आदेश जारी किए हैं।

हाई कोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा ने अपने आदेश में कहा है कि महिला न्यायिक अधिकारी डॉक्टरों की टीम और सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य के साथ माता-पिता को समझाएं।

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मेडिकल रिपोर्ट में गर्भावस्था 30 सप्ताह 

मामले के अनुसार, दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की अनुमति के लिए माता-पिता के सहमति पत्र के साथ छिंदवाड़ा जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने हाई कोर्ट को पत्र भेजा था।

पत्र की सुनवाई याचिका के रूप में करते हुए हाई कोर्ट ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया गया था। हाई कोर्ट में पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था “गर्भावस्था की 30 सप्ताह” की है।

वर्तमान स्थिति में भ्रूण के जीवित पैदा होने की अधिक संभावना है। गर्भपात के दौरान, पीड़िता को जान का खतरा हो सकता है। पीड़िता के साथ ही माता-पिता को सभी पहलुओं की जानकारी नहीं होती।

इस मामले में सरकार की तरफ से बताया गया, माता-पिता की सहमति में यह साफ नहीं है कि पीड़िता तथा भ्रूण के जीवन को होने वाले खतरे की जानकारी होने के बावजूद वह गर्भपात करवाना चाहते हैं।

माता-पिता दूरदराज के गांव से है और अशिक्षित होने के कारण सभी पहलुओं से अवगत नहीं है। सक्षम अधिकारियों द्वारा माता-पिता और पीड़िता की पुनः काउंसलिंग करवाई जाए।

एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि गर्भावस्था लगभग 30 सप्ताह की है और तथ्य को देखते हुए कि जिला न्यायाधीश छिंदवाड़ा को यह आदेश देना उचित होगा कि एक महिला न्यायिक अधिकारी के साथ डाक्टरों की टीम और सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य आज या कल पीड़िता के माता-पिता और पीड़िता की काउंसलिंग करें।

उन्हें बच्चे को जन्म देने तथा गर्भपात करवाने के स्थिति में फायदे व नुकसान से अवगत करवाएं।

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