महाकुंभ में आस्था के नाम पर चकाचक व्यापार और रोज़गार के अवसर।

इस महाकुंभ का पुण्य लेने विदेशों से ईसाई समाज के विशिष्ट वर्ग के लोग आए। देवगंत लॉरेन पॉवेल, स्टीव जॉब्स की पत्नी, कुंभ मेले में शिरकत कर रही है। वे 1.25 लाख करोड़ की मालकिन है। लॉरेन ईसाई और बौद्ध दोनों में यकीन रखती हैं। वह बींफ भी खाती हैं। वह हिंदू नहीं है। उनका कहना है की कुंभ की आस्था को समझने के लिए भारत आई है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।

महाकुंभ में युवाओं को भरपूर रोजगार मिलेगा, मोदी जी का यह कहना था। इसलिए बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में वह वहां पहुंचे रहे हैं। उनमें सबसे ज्यादा युवा साधु वेश धरे कुंभ की रौनक बढ़ा रहे हैं। क्योंकि यह वेश आजकल देश का प्रतिष्ठित सिंबल बना हुआ है। उनके यहां युवती कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रही हैं। कुछ लोग छीना-झपटी और लूट के नए प्रयोग कर अपना धंधा जमा रहे हैं। योगी सरकार से निवेदन है कि ऐसे लोगों पर रहम करें, ऐसे अवसर कई सालों बाद आते हैं। 

यह निवेदन इसलिए है कि गत दिवस एक किशोर साधु पर लोग पिले पड़े। सनातन ज्ञान की परीक्षा लेने लगे, उसके अखाड़े का नाम पूछा, उस युवा की फजीहत कर डाली। एक दलित युवा ढपली बजा-बजाकर लोगों को लुभा रहा था। ऐसे अनेकों युवा पीएम की इच्छा के अनुसार, रोजगार की तलाश में यहां आए हैं। युवाओं को भी अवसर देना चाहिए। देश भी तो ऐसे ही मजमेबाजों के हाथ में है, फिर इनके प्रति यह व्यवहार अक्षम्य है।

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अज्ञान और चमत्कार के बीच व्यापार तो चकाचक चल रहा है। जो महाकुंभ का सबसे अहम मुद्दा है। वाकई विश्व गुरु के इस ज्ञान का मुकाबला दुनिया का कोई भी मुल्क नहीं कर सकता है। 144 साल बाद आए महाकुंभ का पुण्य पाने पौष पूर्णिमा को ही यहां एक करोड़ से अधिक लोग पहुंचे। 45 करोड लोगों के पहुंचने के आसार बताए गए हैं। लेकिन यहां मजमेबाजों के तमाशों की बात गांव -शहर पहुंचते ही लोगों की उत्कंठा बढ़ रही है। मोदी मीडिया ने भी इसे परोसने में खासी दिलचस्पी ली है।

इस महाकुंभ का पुण्य लेने विदेशों से ईसाई समाज के विशिष्ट वर्ग के लोग आए हैं। देवगंत लॉरेन पॉवेल, स्टीव जॉब्स की पत्नी, कुंभ मेले में शिरकत कर रही है। वे 1.25 लाख करोड़ की मालकिन है। लॉरेन ईसाई और बौद्ध दोनों में यकीन रखती हैं। वह बींफ भी खाती है। वह हिंदू नहीं है। उनका कहना है कि कुंभ की आस्था को समझने के लिए वह भारत आई है। उनको पेशवाई में शामिल किया गया है। जिसमें सिर्फ साधु शामिल होते रहे हैं‌। इतना ही नहीं उन्हें मुख्य यजमान बनाया गया है। एक इसी को यजमान बनाना क्या कोई रियासती खेल है। लॉरेन को वीआईपी घर और सुरक्षा प्रदान की गई है।

महाकुंभ में एक से बढ़कर एक नौटंकीबाज इकट्ठा किए गए हैं। जिसका सनातन संस्कृति से कुछ लेना देना नहीं है। एक तरफ मुस्लिम और दलितों से घृणास्पद व्यवहार हो रहा है। दूसरी ओर अरबपति इसी लॉरेन को माथे पर बिठाया जा रहा है। यह सनातन संस्कृति नहीं है। वह तो वासुदेव कुटुंबकम् की भावना रखती है। सभी धर्मों के लोग उसके लिए बराबर है। इसी भटकाव में बरोजगार युवाओं का जो प्रशिक्षण यहां रोजाना के नाम पर चल रहा है। उसके दूरगामी परिणाम खतरनाक होंगे। कल्पना कीजिए, छल-कपट, झूठ, लूट-पाट से भला देश का भला कैसे हो सकता है।

स्नान व ध्यान और दान दक्षिणा का यह केंद्र इलाहाबाद में आयोजित महाकुंभ का हाल-चाल ठीक नहीं है। यह भीड़ तंत्र से अपनी सत्ता को बचाने का एक उपक्रम ज़्यादा है। गंगा मां के नाम पर आस्था के सैलाब में यह आम आदमी के शोषण का एक बड़ा हथकंडा हैं।

बड़े विचित्र बात है कि करोड़ सनातनियों ने एक ईसाई को क्यों बर्दाश्त किया। जबकि मुसलमानों के महाकुंभ मेले में प्रवेश पर रोक है। इस संबंध में कृष्ण अय्यर साहब ने मायने की बात की है। वह लिखते हैं कि मैं दावे के साथ कहता हूं “अगर आज कोई शेख़ की बेटी भी आती, तो भी उन्हें इतनी ही इज़्ज़त मिलती, एक तो पैसा, दूसरा इंटरनेशनल इमेज। इनके ख़िलाफ़ बोलने की किसी ढोंगी बाबा की हिम्मत नहीं है।” इससे यह सिद्ध होता है कि यह कोई आध्यात्मिक मेला नहीं पूरी तरह सियासती मेला है। साथ ही विश्व गुरु की अहमियत की बात बता के व्यापारिक लाभ उठाना है।

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