कहलगांव की माहिका ने थांग-टा में रचा इतिहास, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीता गोल्ड मेडल

बिहार मे भागलपुर जिले के कहलगांव की धरती से एक और नगीना निकला है। यहां की बेटी माहिका कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और हिम्मत से वो कर दिखाया है जो हर खिलाड़ी का सपना होता है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में थांग-टा प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर न सिर्फ अपने स्कूल, बल्कि पूरे जिले और राज्य का नाम रौशन कर दिया है।

कहलगांव की माहिका ने थांग-टा में रचा इतिहास, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीता गोल्ड मेडल

संत जोसेफ स्कूल की छात्रा माहिका ने पारंपरिक मार्शल आर्ट थांग-टा में दिखाया दम, भूमिका और शुभाक्षी ने भी दिलाया जिले को गौरव

रिपोर्ट : अमित कुमार : भागलपुर : बिहार।भागलपुर जिले के कहलगांव की धरती से एक और नगीना निकला है। यहां की बेटी माहिका कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और हिम्मत से वो कर दिखाया है जो हर खिलाड़ी का सपना होता है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में थांग-टा प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर न सिर्फ अपने स्कूल, बल्कि पूरे जिले और राज्य का नाम रौशन कर दिया है।

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बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव की रहने वाली माहिका कुमारी ने गया में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में थांग-टा मार्शल आर्ट में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। माहिका, संत जोसेफ स्कूल की छात्रा हैं और खेल के साथ-साथ पढ़ाई, नृत्य और अन्य गतिविधियों में भी अव्वल रही हैं।

माहिका की इस शानदार उपलब्धि ने सिर्फ उनके परिवार को नहीं, बल्कि पूरे भागलपुर और बिहार को गर्व से भर दिया है। इसी प्रतियोगिता में उनके स्कूल की दो और छात्राएं “भूमिका राज” और “शुभाक्षी” ने भी थांग-टा में कांस्य पदक जीतकर जिले की उपलब्धियों में चार चांद लगा दिए हैं।

थांग-टा एक पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट है, जिसकी जड़ें मणिपुर से जुड़ी हुई हैं। इसमें तलवार और ढाल के साथ युद्ध कौशल की शिक्षा दी जाती है। अब यह खेल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहा है।

माहिका की उपलब्धियां सिर्फ खेल तक सीमित नहीं

आपको बताते चले कि माहिका एक होनहार छात्रा हैं। खेल के अलावा उन्होंने पढ़ाई और डांस में भी कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं। पिछले साल विक्रमशिला महोत्सव में उनके सोलो डांस परफॉर्मेंस ने भी खूब तालियां बटोरी थीं।

महिका की तमन्ना बेटियां खेल में बढ़ चढ़कर आगे आएं

माहिका कुमारी ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा “मैंने इस मेडल के लिए कड़ी मेहनत की थी। मेरी जीत मेरे माता-पिता, स्कूल और कोच की वजह से संभव हुई है। मैं चाहती हूं कि हमारे राज्य की और भी बेटियां इस खेल में आगे आएं।

गौरतलब हो कि माहिका की इस ऐतिहासिक जीत से कहलगांव और भागलपुर का नाम पूरे देश में चमका है। उनकी सफलता आज की बेटियों के लिए प्रेरणा है कि अगर लगन हो तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।

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