महिला के नाम से फर्जी याचिका दाखिल, हाई कोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को दिए जांच के निर्देश
याचिका पिछले वर्ष दाखिल की गई थी। जिसमें एक महिला और एक पुरुष को पति-पत्नी बताते हुए उनके लिए सुरक्षा की मांग की गई थी। अप्रैल 2024 में अगर महिला अपने भाई के साथ कोर्ट में उपस्थित हुई और स्पष्ट किया है कि उसने ना किसी याचिका पर हस्ताक्षर किए थे और न ही शपथ पत्र पर।
महिला के नाम से फर्जी याचिका दाखिल , हाई कोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को दिए जांच के निर्देश
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : प्रयागराज , उत्तर प्रदेश।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महिला के नाम से उसकी जानकारी या सहमति के बिना फर्जी याचिका दाखिल करने को गंभीरता से लिया है और प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने याची महिला की शिकायत पर दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि एक कपटपूर्ण कृत्य किया गया है ताकि किसी स्वार्थ पूर्ण उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकें।
इस प्रकार की धोखाधड़ी बिना किसी ऐसे व्यक्ति की संलिप्तता के नहीं हो सकती, जो प्रक्रियाओं से भली भांति परिचित हों।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला निष्पक्ष और विस्तृत जांच की मांग करता है, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायालय के समक्ष धोखाधड़ी का प्रयास किया है। यदि षड्यंत्रकर्ता अपने इरादों में सफल हो जाते हैं, तो यह ना केवल न्याय व्यवस्था का उपहास होता, बल्कि आपराधिक न्याय प्रणाली पर कलंक होता।
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महिला का कहना है कि पहले से किसी अन्य पुरुष से विवाहित है। उसके दो बच्चे हैं और वर्तमान में वैवाहिक विवाद के कारण वह अपने पिता के घर रह रही है। उसने यह भी आशंका जताई है कि यह याचिका उसके पति ने एक वकील के साथ मिलकर दाखिल कराई ताकि तलाक का आधार तैयार किया जा सके।
वहीं दूसरी याची ने भी इस याचिका के संबंध में कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया।
इस याचिका में अधिवक्ता लल्लन चौबे का नाम था, जिन्हें कोर्ट के नोटिस जारी किया था। उन्होंने कहा कि याचिका उन्होंने दाखिल नहीं की और उनका नाम व हस्ताक्षर जालसाजी से प्रयोग किए गए।
शपथ पत्र की प्रक्रिया में संलिप्त ओथ कमिश्नर को भी लापरवाही कभी दोषी पाया गया। इस बीच महिला के पति ने शपथ पत्र दाखिल कर आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी दूसरी याची के साथ अवैध संबंध में है और ससुराल लौटने से इनकार कर चुकी है।
इन परस्पर पर विरोधी और गंभीर आरोपों के मद्देनजर कोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया है। साथ-साथ कहा है कि कोई संज्ञेय अपराध बनता है तो तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएं।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए यह भी निर्देश दिया गया कि जांच निष्पक्ष, स्वतंत्र और बिना किसी प्रभाव के की जाएं।
फॉरेंसिक और वैज्ञानिकों का उपयोग कर सच्चाई सामने लाई जाएं। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को स्वयं इस जांच की निगरानी करने और प्रत्येक तिमाही में इसकी प्रगति रिपोर्ट सीजेएम को सौंपने को कहा हैं।
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