मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति न मिलने पर सनातन रक्षक दल ने जताई नाराज़गी, महिलाओं ने शंखनाद कर जताया है विरोध।
सनातन रक्षा दल के सदस्यों ने मंदिर खोलने की मांग को लेकर गोदौलिया चौराहे पर शंख बजाकर प्रशासन को जगाने का प्रतीकात्मक दर प्रदर्शन किया है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी जाए। सनातन दल के लोगों का कहना है कि प्रशासन ने मौखिक रूप से यह स्वीकार किया था कि स्थानीय लोगों को मंदिर में दर्शन पूजन करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था की पूजा के दौरान कानून और शांति अवस्था भंग होने पर कार्यवाही की जाएगी।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार वाराणसी (उत्तर प्रदेश )।
मदनपुरा स्थित बंद मंदिर में दर्शन-पूजन शुरू कराने को लेकर सनातन रक्षक दल के पदाधिकारी सोमवार को एसीपी दशाश्वमेध धनंजय मिश्रा से मिलें। इस दौरान मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति न मिलने पर महिलाओं ने गोदौलिया चौराहे पर शंखनाद कर सांकेतिक रूप से प्रशासन के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज़ कराया।
सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा का कहना है कि जिला प्रशासन ने मौखिक अनुमति दी थी। लेकिन स्थानीय पुलिस की ओर से लिखित आदेश न मिलने के कारण आज भी पूजा शुरू नहीं हो सकीं। पुलिस प्रशासन का कहना है कि उनके पास मंदिर खोलने का पूजन की अनुमति से संबंधित कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, जिसके चलते मंदिर खोलने की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
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सनातन रक्षा दल के सदस्यों ने मंदिर खोलने की मांग को लेकर गोदौलिया चौराहे पर शंखनाद बजाकर प्रशासन को जगाने का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मंदिर में पूजा शुरू करने के अनुमति दी जाएं। सनातन दल के लोगों के लोगों का कहना है कि प्रशासन ने मौखिक रूप से यह स्वीकार किया था कि स्थानीय लोगों को मंदिर में प्रदर्शन पूजन करने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि पूजा के दौरान कानून और शांति व्यवस्था भंग होने पर कार्यवाही की जाएंगी।
मदनपुरा के गोल चबूतरा इलाके में मकान नंबर डी- 31/65 के पास बंद मंदिर को लेकर विवाह 17 दिसंबर को शुरू हुआ था। सनातन दक्ष दल के कार्यकर्ता मंदिर में पूजा शुरू कराने पहुंचे थे। लेकिन प्रशासन ने स्वामित्व की जांच का हवाला देते हुए मामला शांत कर दिया।
पिछले दिनों जिला प्रशासन ने दस्तावेजों की जांच की। जिसमें यह पाया गया है कि मंदिर एक सार्वजनिक स्थल हैं। और हिंदू समाज को यहां दर्शन पूजन का अधिकार है।
ज़िला प्रशासन ने स्थानीय मुस्लिम समुदाय से भी चर्चा की है। जिसमें उन्होंने मंदिर खोलने और पूजा शुरू करने पर सहमति जताई। मंदिर से सटे भवन को 1992 में हिंदू परिवार ने मुस्लिम परिवार को भेजा था। तब से मुस्लिम परिवार वहां रह रहा है। लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।
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