एमपी हाई कोर्ट का सरकार को आदेश, दुष्कर्म से जन्में बच्चों के लिए बनाएं पॉलिसी

नाबालिक लड़की के साथ परिवार के लोगों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में बच्चों को जन्म देने की अनुमति मांगी। सामान्य तौर पर कोर्ट में ऐसे मामले जब भी आते हैं तो पीड़ित लड़कियां महिला गर्भवती की अनुमति मांगने आती है।

एमपी हाई कोर्ट का सरकार को आदेश , दुष्कर्म से जन्में बच्चों के लिए बनाएं पॉलिसी 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : जबलपुर : मध्य प्रदेश।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि पीड़ित महिलाओं और लड़कियों के परिवार के लिए शिक्षा स्वास्थ्य घर और सुरक्षा के लिए स्पष्ट नीति बननी चाहिए।

दुष्कर्म से जन्में बच्चों के लिए भोजन, एजुकेशन सहित मूलभूत सुविधाएं देने के लिए सरकार को पॉलिसी बनाना चाहिए।

मामला दुष्कर्म की शिकार पीड़ित अविवाहित खासकर नाबालिक लड़कियों के प्रसव का है। हाई कोर्ट ने पुलिस नाबालिक लड़की को बच्चे को जन्म देने की अनुमति दी है। परिवार के लोगों ने बच्चे को पालने की मंशा जाहिर की है।

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इसलिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पीड़ित लड़की का पूरा इलाज मेडिकल बोर्ड की देख-रेख में होंगा।

परिजनों ने लड़की का प्रसव कराने का लिया फैसला 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच के जस्टिस विनय शराफ के सामने मंडला जिले की नाबालिक लड़की का मुक़दमा आया।

मंडला जिले के एक गांव में कुछ दिनों पहले यही नाबालिक लड़की दुष्कर्म का शिकार हुई थी। आरोपी की के ख़िलाफ़ मुक़दमा चला और उसे सजा भी हो गई है।

कुछ दिनों बाद पता लगा कि लड़की गर्भवती हैं। पीड़ित लड़की और परिवार के लोगों ने आपस में चर्चा की।

सभी ने यह तय किया कि लड़की बच्चे को जन्म देंगी, हम सब मिलकर उसे पालेंगे।

अभी तक गर्भपात के मामले सामने आएं 

नाबालिक लड़की के साथ परिवार के लोगों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में बच्चे को जन्म देने की अनुमति मांगी। सामान्य तौर पर कोर्ट में ऐसे मामले जब भी आते हैं, तो लड़की या महिला गर्भपात की अनुमति मांगने आती है।

लेकिन यह इस मामले में एक अनोखा मामला था। जहां लड़की गर्भपात की अनुमति नहीं मांग रही थी, बल्कि बच्चे को पालने की अनुमति मांग रही थी।

हाई कोर्ट के जस्टिस विनय शराफ इस मामले में न केवल बच्चों को जन्म देने की अनुमति दी, बल्कि उन्होंने कोर्ट की ओर से सरकार को आदेश दिया है कि जन्म लेने वाले बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई का पूरा खर्चा सरकार उठाएगी।

वहीं कोर्ट ने स्पष्ट किया मेडिकल बोर्ड लड़की के बच्चे को जन्म देने तक और उसके बाद भी लड़की और बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रखेगा।

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