ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने से नहीं मिल गई घर पर हिंसा करने की छूट, दहेज हत्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी

याचिकाकर्ता के वकील ने अपने मुवक्किल की सैन्य पृष्ठभूमि पर जोर दिया। वकील ने तर्क दिया है कि उसने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लिया था। वह पिछले 20 सालों से राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात एक ब्लैक कैट कमांडो है।

ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने से नहीं मिल गई घर पर हिंसा करने की छूट, दहेज हत्या मामले की सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली। 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दहेज के लिए पत्नी की हत्या के मामले के एक दोषी को सरेंडर की छूट देने से इंकार कर दिया। अदालत ने सुनवाई करते हुए मामले पर सख्त टिप्पणी की।

अदालत ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने से आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है।

यह मामला जस्टिस उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष आया। बेंच पंजाबी और हरियाणा हाई कोर्ट के एक आदेश के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनवाई कर रही हैं।

हाई कोर्ट में शख्स के अपील को ख़ारिज करते हुए उसकी सज़ा को बरकरार रखा था।

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सुनवाई के दौरान, बेंच ने स्पष्ट किया है कि वह शख्स को छूट देने के लिए इच्छुक नहीं हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने अपने मुवक्किल की सैन्य पृष्ठभूमि पर जोर दिया।

वकील ने तर्क दिया कि उसने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लिया था। वह पिछले 20 सालों से राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात एक ब्लैक कैट कमांडो है।

बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जिस तरह उसने अपनी पत्नी का गला घोंटा वह वीभत्स है, आत्मसमर्पण से छूट उस मामलों में है, जहां सज़ा 6 महीने या 1साल की है।

याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें सुनने के बाद, बेंच ने कहा है कि वह अपील कर नोटिस जारी कर सकती है लेकिन आत्म समर्पण से सुरक्षा की प्रार्थना पर विचार नहीं करेंगी।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस पर हामी भरते हुए याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। अदालत ने समय को और बढ़ाने से इंकार करते हुए कहा कि अब कोई ऑपरेशन सिंदूर नहीं है।

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