नाथनगर में बाढ़ से बेहाल लोग, असजद सिद्दीकी ने दौरा कर राहत की मांग की
रत्तीपुर, रसीदपुर, श्रीरामपुर जैसे गांवों में बाढ़ की तबाही, नाव, आश्रय और शौचालय की मांग लेकर पहुंचे असजद सिद्दीकी; अंचल अधिकारियों से मुलाकात
- नाथनगर में बाढ़ से बेहाल लोग, असजद सिद्दीकी ने दौरा कर राहत की मांग की
- रत्तीपुर, रसीदपुर, श्रीरामपुर जैसे गांवों में बाढ़ की तबाही, नाव, आश्रय और शौचालय की मांग लेकर पहुंचे असजद सिद्दीकी; अंचल अधिकारियों से मुलाकात
रिपोर्ट : अमित कुमार : भागलपुर। भागलपुर जिले के नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ ने लोगों की ज़िंदगी में उथल-पुथल मचा दी है। हजारों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो चुके हैं। खेत, खलिहान और घर सब कुछ पानी में डूब गया है। ऐसे हालात में नाथनगर के स्थानीय नेता असजद सिद्दीकी ने बाढ़ग्रस्त गांवों का दौरा कर हालात का जायज़ा लिया और राहत कार्यों को लेकर प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की।
सिद्दीकी ने बताया कि हर साल लाखों लोग बाढ़ की वजह से अपना घर-बार छोड़ने पर मजबूर होते हैं, लेकिन इस बार हालात और भी गंभीर हैं। उन्होंने ग्रामीणों की ओर से नाव, अस्थायी आश्रय (temporary shelter), शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था कराने की मांग को अंचल अधिकारियों तक पहुंचाया।
उन्होंने SIR (स्थानीय आपदा रिपोर्ट) से भी अधिकारियों को अवगत कराया ताकि जल्द से जल्द राहत कार्यों में गति लाई जा सके। दौरे के दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव द्वारा सुझाए गए “विकसित बिहार” के विजन की जानकारी भी लोगों तक पहुंचाई और आश्वस्त किया कि आने वाले समय में इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए स्थायी योजना तैयार की जाएगी।
इस दौरे में उनके साथ नाथनगर प्रखंड अध्यक्ष श्री अशोक यादव, पंचायत अध्यक्ष अरविंद यादव, मंगल महतो, भगवान मंडल और वामपंथी (कामरेड) विचारधारा से जुड़े कई साथी भी मौजूद थे। इन सभी ने मिलकर गांव-गांव जाकर पीड़ितों की बात सुनी और ज़रूरी सामग्री वितरण की योजना बनाई।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन से सुविधाएं मांगी हैं
- सुरक्षित नाव की व्यवस्था
- बाढ़ से ऊँचे स्थानों पर टेंट या आश्रय स्थल
- चलित शौचालय (mobile toilets)
- साफ पीने के पानी की आपूर्ति
- बच्चों के लिए दूध व भोजन पैकेट
प्राकृतिक आपदाएं हर साल बिहार के कई जिलों को प्रभावित करती हैं, लेकिन अगर प्रशासनिक स्तर पर ठोस योजना और समय पर राहत कार्य हों, तो जनहानि और संपत्ति की हानि को काफी हद तक रोका जा सकता है। असजद सिद्दीकी का यह दौरा ग्रामीणों के लिए एक उम्मीद की किरण है, लेकिन जब तक प्रशासन ज़मीनी स्तर पर सक्रिय नहीं होता, तब तक हालात बदलना मुश्किल होगा।