पीड़ित को न्याय मिलें, इसलिए ज़मानत निरस्त करने की व्यवस्था, हाई कोर्ट
इस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि आरोपी का आपराधिक इतिहास है। उसके ख़िलाफ़ गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट की भी कार्यवाही की गई है। ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत दी थी कि आरोपी पैसे वापस कर देगा। अश्वनी कुमार अग्रवाल के अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि आप में साजिद करने का झूठा रेप केस भी उसके मुवक्किल के ख़िलाफ़ दर्ज़ करा दिया है।
पीड़ित को न्याय मिलें , इसलिए जमानत निरस्त करने की व्यवस्था , हाई कोर्ट
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : प्रयागराज , उत्तर प्रदेश।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक आदेश में कहा है कि कानून में जमानत निरस्त करने की व्यवस्था इसीलिए की गई है कि पीड़ित को न्याय मिल सकें।
कोर्ट ने कहा है कि ज़मानत निरस्त करने का प्रावधान यह भी सुनिश्चित करने के लिए है कि आरोपी को सबूतों से छेड़छाड़ करने से रोका जा सकें।
यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने आर्थिक अपराध से जुड़े मामले में राकेश शर्मा की ज़मानत निरस्त करते हुए दिया है।
यह भी पढ़ें – ‘मुसलमानों के अस्तित्व के लिए खतरा’ वक्फ संशोधन एक्ट के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हिंदू संगठन
कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 439(2) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 483(3) हाई कोर्ट को आरोपी की स्वीकृत ज़मानत निरस्त करने का अधिकार देती है।
मामले के तथ्यों के अनुसार, अश्वनी कुमार अग्रवाल को राकेश शर्मा ने फायदे का लालच देकर रेत खनन में 2 करोड़ रुपए लगाने को कहा, जब राकेश ने फायदा साझा नहीं किया, तो अश्विनी ने ट्रॉनिका सिटी थाने में 19 सितंबर 2021 को एफआईआर दर्ज़ कराई।
आरोपी को गाज़ियाबाद स्थित सेशन कोर्ट से 1 नवंबर 2011 को ज़मानत मिल गई।
इस आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि आरोपी का आपराधिक इतिहास है। उसके ख़िलाफ़ गुंडा एक्ट की कार्यवाही भी की गई है। ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत दी है कि आरोपी पैसे वापस कर देगा।
अश्वनी कुमार अग्रवाल के अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया है कि आरोपी ने साज़िश कर रेप केस का झूठा केस भी उसके मुवक्किल के ख़िलाफ़ दर्ज़ कर दिया है।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि जमानत आदेश में विवेक का प्रयोग नहीं किया गया है। आरोप आर्थिक अपराध व जालसाजी से जुड़ा है, कोर्ट ने बुलंदशहर न्यायालय में अश्वनी पर आरोपी और उसके गिरोह के सदस्यों ने हमला करने के प्रकरण को भी जमानत निरस्त करने के लिए उपयुक्त माना हैं।
यह भी पढ़ें – ढाई करोड़ रुपए गबन के आरोपी पूर्व विशप पीसी सिंह कर्नाटक से गिरफ़्तार, 9 राज्यों में दर्ज है, 64 मामले