प्रदेश के बिजलीकर्मियों को बड़ा झटका देने की तैयारी, बिजली मीटर हुआ अनिवार्य।

प्रदेश में पावर कॉरपोरेशन एवं विभिन्न निगमों से क़रीब 73522 कार्मिक के पद हैं। करीब 28000 से अधिक पेंशनर्स हैं। अभी तक अवर अभियंता को प्रति महा 888 रुपए तक एसी लगाने पर प्रति एसी ₹500 अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। नियामक आयोग की ओर से टैरिफ निर्धारण के लिए नए मानक का मसौदा जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट है कि सभी कारण को एवं पेंशनर्स को 31 दिसंबर 2025 तक मीटर लगाना अनिवार्य होंगा। टैरिफ प्लान में मीटर नहीं लगने पर औसतन प्रति उपभोक्ता 400 यूनिट बिजली खर्च माना जाता है।

मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली। 

प्रदेश के बिजली कर्मियों को बड़ा झटका देने की तैयारी, बिजली मीटर हुआ अनिवार्य। प्रभावित होंगे लाखों लोग प्रदेश के बिजली कर्मियों एवं पेंशनर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी है। अब इन्हें मीटर लगाना अनिवार्य होंगा। मीटर नहीं लगाने पर टैरिफ प्लान में तय औसत 400 यूनिट के बजाय 800 यूनिट का प्रतिमा अधिकतम दर पर भुगतान करना होंगा। टैरिफ तय करने संबंधित ने मानकों में इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इसकी जानकारी मिलते ही बिजली कर्मियों में खलबली मची है। यह प्रावधान लागू हुआ तो करीब 1 लाख से अधिक बिजली कर्मी, अभियंता एवं सेवानिवृत्त कार्मिक प्रभावित होंगे।

प्रदेश में पावर कॉर्पोरेशन एवं विभिन्न निगमों से क़रीब 73522 कार्मिक के पद हैं। क़रीब 28 हजार से अधिक पेंशनर्स हैं। अभी तक अवर अभियंता को प्रतिमाह 888 रुपए एवं एसी लगाने पर प्रति एसी ₹500 अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। अब नियामक आयोग की ओर से टैरिफ निर्धारण के लिए नए मानक (मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन) का मसौदा जारी किया गया है। इससे स्पष्ट है कि सभी कार्मिकों एवं पेंशनर्स को 31 दिसंबर 2025 तक मीटर लगाना अनिवार्य होंगा।

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टैरिफ प्लान में मीटर नहीं लगाने पर औसतन प्रति उपभोक्ता 400 यूनिट बिजली खर्च माना जाता है। नए प्रस्ताव में यह प्रावधान है कि 31 दिसंबर 2025 तक मीटर नहीं लगने पर औसत यूनिट दोगुनी मानते हुए संबंधित कार्मिक से एल एम वी एक श्रेणी के अधिकतम दर से वसूली की जाएंगी।

अभी अवर अभियंता को प्रति माह 888, सहायक अभियंता को 1092, अधीक्षण अभियंता को 1626, मुख्य अभियंता को 1836 रुपए, लिपिक 540 और चतुर्थ श्रेणी को 444 रुपए प्रतिमाह भुगतान करना होता है। एसी लगाने पर प्रति एक ₹500 अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।

नए प्रावधान को मंजूरी मिली तो अवर अभियंता को एक सी लगाने पर क़रीब 1400 की जगह ₹5000 रुपए का भुगतान करना होगा। अभी औसत यूनिट 400 मानी जाती है। मानकों के तहत इसे दोगुना माने जाने पर हर कार्मिक और पेंशनर्स को 800 यूनिट की दर से भुगतान करना होंगा। इस तरह अभी तक बिजली कार्मिक जहां क़रीब ₹1400 भुगतान करते थे। उन्हें क़रीब ₹5000 भुगतान करना होंगा। इसी तरह अन्य कार्मिकों को भी भुगतान करना होंगा।

ऊर्जा संगठनों का आरोप है कि नया मसौदा निजी घरानों में तैयार किया गया है। अभी तक निगमों का संचालन खुद संबंधित अधिकारी एवं कार्मिक करते रहे हैं। यही वज़ह है कि तमाम प्रयास के बाद भी अभी तक अभियंताओं एवं कार्मिकों के साथ ही पेंशनर्स के यहां भी बिजली मीटर नहीं लग पाए हैं। भविष्य में निजीकरण होने जा रहा है। ऐसे में कार्मिकों के यहां बिल वसूली में किसी तरह का अडंगा न आएं। इसे ध्यान में रखते हुए नया मसौदा तैयार किया गया है। ऊर्जा संगठनों ने यह भी कहना है कि नियामक आयोग को अपनी संवैधानिकता का ध्यान रखना चाहिए। निजी घरानों का दबाव नहीं मानना चाहिए।

कब-कब हुआ मीटर लगाने का प्रयास?……

  1. विद्युत अधिनियम 2003 में बिना मीटर कनेक्शन होने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में नियामक आयोग और कॉरपोरेशन की ओर से आए दिन मीटर लगाने का आदेश दिया जाता है, लेकिन मीटर नहीं लग पाता है।
  2. हर वर्ष टैरिफ प्लान जारी होने से पहले भी नियामक आयोग की ओर से मीटर लगाने का आदेश दिया जाता है।
  3. 8 अगस्त 2024 को पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार गोयल ने निर्देश दिया है कि बिजली कर्मियों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से स्मार्ट मीटर लगाया जाएं।

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