रोहिंग्या शरणार्थी है या अवैध घुसपैठिए, सुप्रीम कोर्ट करेगा पड़ताल
अगर देश में रोहिंग्या शरणार्थी विदेशी पाए जाते हैं, तो उन्हें निर्वासित करना होगा
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ) नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रोहिग्याओ से संबंधित मामलों में पहला बड़ा मुद्दा, जिसकी जांच की जरूरत है, यह है कि क्या वे शरणार्थी हैं या भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले हैं ।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपाशंकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि एक बार यह तय हो जाए कि वह शरणार्थी हैं या अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोग है। तो अन्य मुद्दे महत्वपूर्ण हो सकते हैं। पीठ ने रोहिंग्याओं से संबंधित मामले में विचार के लिए उभरे व्यापक मुद्दों पर भी ध्यान दिया। पीठ ने टिप्पणी की, ‘अगर रोहिंग्या अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं तो क्या भारत सरकार और राज्य सरकार कानून के अनुसार उन्हें निर्वासित करने के लिए बाध्य हैं।
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शीर्ष अदालत देश में रोहिंग्या से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस कांत ने कहा पहले बड़ा मुद्दा सीधा है क्या वह शरणार्थी हैं या अवैध घुसपैठिए, पीठ ने कहा क्या रोहिंग्या शरणार्थी घोषित किए जाने के हकदार हैं अगर हां तो उन्हें कौन सी सुरक्षा विशेषाधिकार या अधिकार प्राप्त है। एक वकील ने कहा कि रोहिंग्याओं को अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा रखा जा सकता।
जस्टिस कांत ने कहा कि दूसरा मुद्दा यह है कि अगर रोहिंग्या शरणार्थी नहीं है और अवैध रूप से प्रवेश कर रहे हैं तो क्या उन्हें निर्वासित करने की केंद्र और राज्यों की कार्रवाई उचित थी। पीठ ने पूछा यदि रोहिंग्याओ को अवैध रूप से प्रवेश करने वाला भी माना गया है तो क्या उन्हें अनिश्चित कल तक हिरासत में रखा जा सकता है या वह जमानत पर रिहा किए जाने के हकदार हैं। बशर्ते अदालत उन पर ऐसी शर्ते लगाऐ जिन्हें लागू करना उचित समझे।
पीठ ने कहा की याचिकाओं में उठाया गया दूसरा मुद्दा यह है कि क्या रोहिंग्याओं को जिन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है और जो शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, पेयजल, स्वच्छता और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकााओं को तीन समूहों में विभाजित करने का निर्णय लिया । एक रोहिंग्याओ से संबंधित, दूसरी रोहििंग्याओ के मुद्दे से संबंधित नहीं, तथा एक याचिका जो पूरी तरह से अलग मामले से संबंधित है।
अदालत ने कहा कि मामलों के तीन समूहों को अलग-अलग निर्धारित किया जाएगा और उन पर हर बुधवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह उन लोगों के संबंध में सिद्धांत निर्धारित कर सकता है जो अवैध रूप से प्रवेश करने वाले पाए गए हैं तथा उन्हें निर्वासित करने की राज्य की जिम्मेदारी के प्रश्न पर भी विचार कर सकता है। शीर्ष अदालत ने 8 मई को कहा था कि रोहिंग्या विदेशी हैं और अगर वह विदेशी अधिनियम के अंतर्गत आते हैं तो उनके साथ विदेशी अधिनियम के अनुसार ही व्यवहार किया जाएगा। जिसका अर्थ है कि अगर देश में रोहिंग्या शरणार्थी विदेशी पाए जाते हैं तो उन्हें निर्वासित करना होगा।
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16 मई को कोर्ट ने कहा कि वह म्यांमार के युद्ध क्षेत्र में रोहिंग्या के कथित जबरन निर्वासन के बारे में खूबसूरती से गढ़ी गई कहानियों का मनोरंजन करने के लिए उत्सुक नहीं है। बल्कि वह आरोपों को प्रमाणित करने के लिए कुछ विश्वसनीय सामग्री देखना चाहेगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा जब देश ऐसे कठिन समय से गुजर रहा है, तो आप हर दिन काल्पनिक विचारों के साथ सामने आते हैं।