सहारनपुर की सड़कों पर सिस्टम का ऑपरेशन फेल! सरकारी अस्पताल से देहरादून चौक तक आम जनता बेहाल, वीआईपी के लिए खुलती है सड़के

डॉक्टर के यहां आने वाले मरीजों के परिजन सरेआम रोड पर गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। जिससे हर रोज लंबा जाम लगता है। दिलचस्प बात तो यह है कि ट्रैफिक पुलिस मौजूद होने के बावजूद कुछ नहीं कर पाती। क्योंकि डॉक्टर एसोसिएशन यदि किसी गाड़ी का चलान होता है तो पुलिस पर दबाव बना देती है।

सहारनपुर की सड़कों पर सिस्टम का ऑपरेशन फेल! सरकारी अस्पताल से देहरादून चौक तक आम जनता बेहाल , VIP के लिए खुलती हैं सड़कें!

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : सहारनपुर , उत्तर प्रदेश।

सहारनपुर में सरकारी अस्पताल चौक से लेकर देहरादून चौक तक की सड़कों पर आम जनता का चलना मुश्किल हो गया है।

ऐसा लगता है कि जैसे ट्रैफिक नियमों की बलि चढ़ चुकी है और सिस्टर ने आम जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।

डॉक्टर के यहां आने वाले मरीजों के  परिजन सरेआम रोड पर गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। जिससे हर रोज़ लंबा जाम लगता है।

दिलचस्प बात तो यह है कि ट्रैफिक पुलिस मौजूद होने के बावजूद कुछ नहीं कर पाती, क्योंकि डॉक्टर एसोसिएशन यदि किसी गाड़ी का चालान होता है , तो पुलिस पर दबाव बना देती है।

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सवालों के घेरे में  डॉक्टर की सुविधा

और

सिस्टम की ढील 

क्या डॉक्टरों को यह ज़िम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए कि वह अपने यहां आने वाली मरीजों के लिए पार्किंग की समुचित व्यवस्था करें ?

क्या सड़के किसी वर्ग की सुविधा के लिए है, आम जनता की कोई अहमियत नहीं है ?

VIP आते ही सड़के कैसे चमत्कारिक रूप से साफ हो जाती है ?

सबसे चौंकाने वाली बात तो तब होती है, जब किसी VIP या VVIP का दौर होता है। उसी सड़कों पर, जहां आम आदमी रोज घंटों जाम में फंसा रहता है।

वहां अचानक चमत्कार हो जाता है – ना कोई जाम, ना कोई गाड़ी, ना कोई रुकावट!

तो फिर सवाल यह उठता है – 

  1. क्या सहारनपुर की सड़कें सिर्फ वीआईपी के लिए बनी है ?
  2. क्या आम आदमी का कोई मूल्य नहीं रह गया है ?
  3. ट्रैफिक पुलिस कब तक दबाव में काम करती रहेंगी ?
  4. डॉक्टर एसोसिएशन को ट्रैफिक नियमों से ऊपर क्यों माना जा रहा है ?
  5.  प्रशासन कब लेगा संज्ञान ?

लोगों की मांग है कि प्रशासन को तुरंत सख्ती बरतनी चाहिए। सभी निजी अस्पतालों को निर्देश दिया जाए कि वह अपने मरीजों के लिए वैकल्पिक पार्किंग व्यवस्था करें और ट्रैफिक पुलिस को दबाव से मुक्त किया जाएं।

अंत में…..

जब तक सिस्टम सिर्फ रौब देखने वालों के लिए काम करेगा, तब तक आम जनता सड़कों पर इसी तरह पिसती रहेंगी।

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